वित्तीय वर्ष 2026 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम का अवलोकन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक रक्षा नीति विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य अमेरिका के रक्षा गठबंधनों और साझेदारियों, विशेष रूप से भारत के साथ को सुदृढ़ करना है ताकि एक 'मुक्त और खुला हिंद-प्रशांत' क्षेत्र सुनिश्चित किया जा सके।
अधिनियम के प्रमुख उद्देश्य
- भारत के साथ जुड़ाव: यह अधिनियम 'चतुर्भुज सुरक्षा संवाद' (क्वाड) के माध्यम से भारत के साथ अमेरिकी जुड़ाव को व्यापक बनाने पर बल देता है। क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।
- चीन के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा: चीन पर रणनीतिक बढ़त बनाए रखने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी गठबंधनों को मजबूत करना।
- रक्षा औद्योगिक आधार: इस अधिनियम का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा और अंतरसंचालनीयता में सुधार सहित क्षमता, सामर्थ्य और कार्यबल को बढ़ाकर अमेरिका और सहयोगी देशों के रक्षा औद्योगिक आधारों को मजबूत करना है।
महत्वपूर्ण पहल और तंत्र
- सुरक्षा पहल: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और सहयोगी देशों के रक्षा औद्योगिक अड्डों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए एक सुरक्षा पहल की स्थापना।
- परमाणु दायित्व नियम: भारत और अमेरिका के बीच एक संयुक्त परामर्शदात्री तंत्र का गठन। इसका उद्देश्य भारत के घरेलू परमाणु दायित्व नियमों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना है, जिससे 2008 के नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन में आ रही बाधाएं दूर हो सकें।
रिपोर्टिंग और मूल्यांकन
- अमेरिकी विदेश मंत्री को इस अधिनियम के लागू होने के 180 दिनों के भीतर परमाणु दायित्व नियमों के संयुक्त मूल्यांकन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, और उसके बाद पांच वर्षों तक वार्षिक रिपोर्ट देनी होगी।
भागीदार राष्ट्र
- यह अधिनियम 'सहयोगी या साझेदार राष्ट्र' के रूप में भारत को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। इसमें OECD के सदस्य देश, भारत और विदेश मंत्री द्वारा नामित अन्य देश शामिल हैं।