महत्वपूर्ण खनिजों और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों में भारत-रूस सहयोग
भारत और रूस महत्वपूर्ण खनिजों और दुर्लभ मृदा तत्वों (REEs) के क्षेत्र में अपने सहयोग को बढ़ा रहे हैं, जो आधुनिक तकनीक और हरित ऊर्जा संक्रमण के लिए अनिवार्य हैं। हाल ही में आयोजित 'भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन' में यह विषय चर्चा का एक मुख्य एजेंडा रहा।
प्रमुख समझौते और घटनाक्रम
- दोनों राष्ट्रों ने महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण, प्रसंस्करण और शोधन में व्यापार बढ़ाने और सहयोग गहरा करने पर सहमति व्यक्त की है।
- गिरेडमेट संस्थान के निदेशक आंद्रेई गोलिने ने रेखांकित किया कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और पवन ऊर्जा जैसे उद्योगों में बढ़ती रुचि के कारण इस क्षेत्र में भारतीय और रूसी निवेश करोड़ों डॉलर तक पहुँच सकता है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन के दौरान महत्वपूर्ण खनिज साझेदारी के महत्व पर बल दिया।
रूस के दुर्लभ मृदा तत्व (REE) भंडार
- रूस के पास विश्व स्तर पर पांचवां सबसे बड़ा अप्रयुक्त REE निक्षेप है, जिसमें 29 प्रकार की दुर्लभ धातुओं का कुल भंडार 658 मिलियन टन है।
- महत्वपूर्ण REE अयस्क निक्षेप कोला प्रायद्वीप के लोवोज़र्सकोय में स्थित हैं, जहाँ 'रोसाटॉम' की सुविधाओं द्वारा खनन किया जाता है।
- एक अन्य प्रमुख स्थल याकूतिया में टोमटोर है, जहाँ से भारी मात्रा में REEs और नियोबियम प्राप्त होने की उम्मीद है।
- रूस के क्रास्नोयार्स्क क्राय और इरकुत्स्क क्षेत्रों में भी अतिरिक्त REE निक्षेप पाए जाते हैं।