भारतीय मानक ब्यूरो के महानिदेशक ने ‘शैक्षणिक जगत-उद्योग सहयोग’ पर बल दिया | Current Affairs | Vision IAS
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महानिदेशक ने इस बात पर बल दिया कि नवाचार और आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देने वाले मानकों को आकार देने में ‘शैक्षणिक जगत-उद्योग सहयोग’ की आवश्यकता है।

  • ‘शैक्षणिक जगत-उद्योग सहयोग’ तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नवाचार के ट्रिपल हेलिक्स मॉडल का महत्वपूर्ण घटक है।

‘शैक्षणिक जगत-उद्योग सहयोग’ का महत्त्व

  • आर्थिक संवृद्धि: IIT मद्रास रिसर्च पार्क ने 200 से अधिक स्टार्ट-अप्स शुरू किए हैं। इन स्टार्ट-अप्स ने 1000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया है। इससे आर्थिक विकास को गति मिली है। 
  • सामाजिक लाभ: पूसा बासमती चावल की किस्में संधारणीय बासमती चावल की खेती और निर्यात में अत्यधिक योगदान दे रहे हैं। 
  • उच्च रिटर्न: जर्मनी के फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट के शोध के अनुसार, लक्षित अनुसंधान सहयोग ने बेहतर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं, संवर्धित कार्यबल क्षमताओं तथा उच्च फर्म एवं सरकारी राजस्व के माध्यम से निवेश पर 18 गुना रिटर्न प्राप्त किया है।

‘शैक्षणिक जगत-उद्योग सहयोग’ में चुनौतियां 

  • वित्त-पोषण की कमी: वित्त वर्ष 2020-21 में, भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.64% शोध व विकास (R&D) में निवेश किया था। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका ने 3.46% और चीन ने 2.43% का निवेश किया था।
  • शैक्षणिक अनुसंधान में उच्च व्यावसायीकरण लागत आती है और ठोस परिणामों की प्राप्ति का भी अभाव रहता है। 
  • सीमित वित्तीय प्रोत्साहन, प्रशासनिक कार्यों में संलग्नता, खराब अवसंरचना आदि के कारण अकादमिक छात्रों में अनुसंधान के लिए प्रेरणा की कमी है।
  • साझा बौद्धिक संपदा के मुद्रीकरण और अलग-अलग परियोजना प्रबंधन दृष्टिकोण जैसी समस्याएं विद्यमान हैं।

आगे की राह 

  • प्रतिभा पाइपलाइन के निर्माण को प्राथमिकता देनी चाहिए। विनियामक बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है। आपूर्ति श्रृंखलाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और कार्यबल को कुशल बनाने संबंधी निवेश करना चाहिए। 
  • सहयोगात्मक परिवेश को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए बहु-विषयक अनुसंधान केंद्रों को प्रोत्साहित करने, अनुवादात्मक अनुसंधान कार्यालयों के निर्माण की सुविधा प्रदान करने और शैक्षणिक परियोजनाओं में उद्योग की भागीदारी के लिए प्रोत्साहन विकसित करने की आवश्यकता है। 
  • मौलिक अनुसंधान और उन्नत तकनीकी गतिविधियों दोनों में दीर्घकालिक निवेश की जरूरत है।
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