इस योजना का उद्देश्य कोयला गैसीकरण में तेजी लाना और राष्ट्रीय कोयला गैसीकरण मिशन को आगे बढ़ाना है।
वित्तीय प्रोत्साहन योजना (FIS) के बारे में
- शुरुआत: इसे 2024 में शुरू किया गया था।
- परिव्यय: 8,500 करोड़ रुपये।
- कार्यान्वयन: कोयला मंत्रालय।
- उद्देश्य: कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को शुरू करने के लिए निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रकों को प्रोत्साहित करना।
- श्रेणियां: इस योजना के तहत तीन श्रेणियां हैं। श्रेणी I और III के तहत चयनित आवेदकों की घोषणा पहले की जा चुकी है।
कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) के बारे में
- अर्थ: यह एक तकनीकी प्रक्रिया है, जो कोयले जैसे किसी भी कार्बनयुक्त कच्चे माल को ईंधन गैस या सिंथेसिस गैस (सिनगैस) में परिवर्तित करती है।
- सिनगैस, सिंथेटिक प्राकृतिक गैस के उत्पादन में एक मध्यवर्ती उत्पाद है। यह मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और हाइड्रोजन (H2) से बनी होती है।
- प्रक्रिया: यह प्रक्रिया गैसीफायर (उच्च तापमान/ दबाव युक्त पात्र) में संपन्न होती है। यहां ऑक्सीजन और भाप कोयले के सीधे संपर्क में आकर सिनगैस उत्पन्न करती हैं।

कोयला गैसीकरण का महत्त्व
- ऊर्जा का स्वच्छ रूप: कोयले को गैसीय ईंधन में परिवर्तित किया जाता है। इस ईंधन का प्रबंधन आसान है और यह ऊर्जा का अधिक स्वच्छ रूप है।
- रासायनिक और पेट्रोकेमिकल उद्योग में उपयोग: इसका उपयोग मेथनॉल, इथेनॉल, ओलेफिन आदि के निर्माण में किया जाता है।
- सिंथेटिक गैस का उपयोग: इसके कई उपयोग हैं, जैसे- अमोनिया और हाइड्रोजन का उत्पादन, प्राकृतिक गैस का विकल्प, इस्पात उद्योग में रिडक्शन गैस (Reduction gas) के रूप में, विद्युत उत्पादन में, आदि।
- भारत के लिए महत्त्व: भारत में मौजूद प्रचुर कोयला भंडार का उपयोग करना, तेल और गैस की जरूरतों के लिए आयात पर निर्भरता कम करना, आदि।
- राष्ट्रीय कोयला सूची, 2023 के अनुसार देश में 378.21 बिलियन टन कोयला भंडार है।
राष्ट्रीय कोयला गैसीकरण मिशन के बारे में
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