भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, 2024-25 में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में लगभग 14% की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, 2024-25 में भारत में केवल 0.4 बिलियन डॉलर का निवल (नेट) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ, जो पिछले वित्त वर्ष से काफी कम है।
- भारत से पूंजी अन्य देशों में जाने के कारण विशुद्ध विदेशी निवेश में कमी दर्ज की गई। RBI के अनुसार, इस ट्रेंड से संकेत मिलता है कि भारत का बाजार परिपक्व हो रहा है, जहां विदेशी निवेशक सरलता से निवेश कर सकते हैं और उतनी ही सरलता से पूंजी निकास कर सकते हैं।
- 2024-25 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) घटकर 1.7 बिलियन डॉलर रह गया था, क्योंकि निवेशकों ने इक्विटी में मुनाफा वसूली की थी।
भारत में ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)’ क्या है?
- परिभाषा: भारत के बाहर के निवासियों द्वारा भारत में निम्नलिखित में किया गया निवेश FDI माना जाता है:
- किसी असूचीबद्ध भारतीय कंपनी में इक्विटी के माध्यम से निवेश, या
- किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी के शेयरों के जारी होने के बाद फुली डाइल्यूटेड आधार पर पेड अप कैपिटल के 10% या उससे अधिक का निवेश।
- फुली डाइल्यूटेड शेयर किसी कंपनी के कुल सामान्य शेयरों की संख्या को दर्शाते हैं। इनमें शामिल होते हैं: वर्तमान में शेयरधारकों के पास मौजूद आउटस्टैंडिंग शेयर्स, और वे संभावित शेयर्स, जिन्हें प्रेफरेंस शेयर्स, स्टॉक ऑप्शंस आदि के रूपांतरण से प्राप्त किया जा सकता है।
- इसमें निवेशक अपने साथ तकनीक, ज्ञान और कौशल लाते हैं तथा व्यवसाय में आंशिक या पूर्ण स्वामित्व भी प्राप्त करते हैं।
सकल और निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से आशय
- सकल FDI: विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत की उत्पादक परिसंपत्तियों में सीधे किया गया कुल निवेश।
- निवल FDI: यह भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और भारत से बाहर जाने वाले निवेश का अंतर है।
- भारत से बाहर जाने वाले निवेश में विदेशी कंपनियों द्वारा भारत से अपनी पूंजी निकासी और भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में पूंजी निवेश का योग है।
भारत में FDI वृद्धि के प्रमुख कारण:
- निवेश अनुकूल नीतिगत सुधार: अधिकतर क्षेत्रकों में स्वचालित मार्ग से 100% FDI की अनुमति दी गई है। साथ ही, GST और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जैसे सुधार भी लागू किए गए हैं।
- अलग-अलग क्षेत्रकों के लिए विशेष उपाय: सेवा क्षेत्रकों (वित्त, IT, अनुसंधान एवं परामर्श आदि) को निवेश के लिए आकर्षक बनाया गया है। इसके अलावा, भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (PLI) लागू की गई है।
- राज्य-स्तरीय सुधार: राज्यों में अवसंरचना में सुधार, निवेशक आउटरीच, औद्योगिक नीति सुधार आदि के माध्यम से निवेश अनुकूल माहौल बनाया गया है।
2024-25 में भारत में FDI का प्रमुख ट्रेंड
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