भारत में तेजी से बढ़ता क्विक कॉमर्स उपभोक्ता व्यवहार और बाजार की गतिशीलता में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है | Current Affairs | Vision IAS
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कंसल्टेंसी फर्म कियर्नी की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में क्यू-कॉमर्स किराना बाजार के 2024-27 के बीच तीन गुना बढ़कर लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।

क्विक कॉमर्स (क्यू-कॉमर्स/ ऑन-डिमांड डिलीवरी) के बारे में

  • अर्थ: यह एक अनूठा व्यवसाय मॉडल है, जो ऑर्डर करने के 10-30 मिनट के भीतर सामान/ सेवाएं डिलीवर करता है। उदाहरण के लिए- स्विगी का इंस्टामार्ट, ब्लिंकिट, जेप्टो आदि।
    • इसमें विक्रेता बाहरी इलाकों में स्थित पारंपरिक गोदामों का उपयोग नहीं करते, बल्कि डिलीवरी बिंदु के पास ही अवस्थित लघु गोदामों का उपयोग करते हैं। 

क्यू-कॉमर्स की प्रमुख परिवर्तनकारी भूमिका

  • उपभोक्ताओं का व्यवहार बेहतर सुविधा और तत्काल संतुष्टि से प्रेरित होता है।
    • वृद्धिशील बिक्री: क्यू-कॉमर्स के माध्यम से होने वाली सभी बिक्री का 6-8% विशुद्ध रूप से वृद्धिशील है। यह स्नैकिंग, त्यौहार के समय खरीदारी, उपहार देने आदि से संचालित होता है।
      • फलों, सब्जियों और डेयरी क्षेत्रकों में इसे अपनाने की दर कम है, क्योंकि यहां खरीदने की क्षमता एवं ताजगी को अधिक प्राथमिकता दी जाती है।
    • प्रीमियम को ज्यादा महत्त्व देना: उच्च-स्तरीय ब्रांड्स तक आसान पहुंच तथा कुछ प्रीमियम उत्पाद सबसे पहले इन प्लेटफॉर्म्स पर ही लॉन्च किए जाते हैं।
  • रोजगार गतिशीलता को नया आकार देना
    • प्रत्यक्ष रोजगार नोड्स (लास्ट-माइल लॉजिस्टिक्स प्रमुख चालक है) और अप्रत्यक्ष रोजगार नोड्स (अतिरिक्त आईटी नौकरियां, आदि) दोनों का विकास हो रहा है। 
      • यह प्रति करोड़ रुपये मासिक सकल व्यापारिक मूल्य (GMV) पर 62-64 लोगों को रोजगार देता है, जो ई-कॉमर्स (25-29 लोग) से अधिक है।
    • रोजगार में संरचनात्मक बदलाव: निम्नलिखित के कारण प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स व्यवस्था को अपनाया जा रहा है-
      • लचीलापन बढ़ता जा रहा है, जैसे अंशकालिक या पूर्णकालिक कार्य। 
      • हाइपरलोकल रोजगार वितरण, क्यू-कॉमर्स स्टोर पूरे क्षेत्र में वितरित होते हैं और ये केंद्रीकृत नहीं होते।
      • मल्टी-प्लेटफॉर्म गिग वर्क में भाग लेने का अवसर मिलता है। 

निष्कर्ष

क्यू-कॉमर्स में वृद्धि के कारण व्यवसायों ने अपनी निवेश रणनीतियों को इस ओर स्थानांतरित कर दिया है। फिर भी इसे अन्य खुदरा चैनलों के साथ सह-अस्तित्व में रहते हुए उपभोक्ता वरीयताओं और बाजार की गतिशीलता के साथ लगातार अनुकूलन करना होगा।

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