इस वार्ता में कजाकिस्तान गणराज्य, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान गणराज्य, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान गणराज्य के विदेश मंत्रियों ने भाग लिया।
चौथी वार्ता के संयुक्त वक्तव्य के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:

- मध्य एशियाई देशों ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की और दुर्लभ भू खनिजों एवं महत्वपूर्ण खनिजों की संयुक्त खोज में रुचि दिखाई।
- मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प के अनुसार, 2025 को "अंतर्राष्ट्रीय शांति और विश्वास वर्ष" के रूप में मनाने के निर्णय का स्वागत किया।
- मंत्रियों ने ताजिकिस्तान में हिमनद संरक्षण पर आयोजित पहले उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की सराहना की। यह सम्मेलन 2025 को ‘अंतर्राष्ट्रीय हिमनद संरक्षण वर्ष’ के रूप में मनाने का हिस्सा था।
भारत-मध्य एशिया संबंध:
- प्राचीन संबंध: मध्य एशिया के साथ भारत के संबंध हजारों साल (लगभग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) पुराने हैं। ये दोनों क्षेत्र रेशम मार्ग के जरिए आपस में जुड़े हुए थे।
- वर्तमान समय में, मध्य एशियाई गणराज्य भारत की विस्तारित पड़ोसी नीति का हिस्सा हैं।
- कनेक्टिविटी और अवसंरचना विकास: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC), चाबहार बंदरगाह जैसी पहलों के माध्यम से इस क्षेत्र से संपर्क बढ़ाया है।
- ऊर्जा सुरक्षा: उदाहरण के लिए- TAPI (तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत) पाइपलाइन परियोजना। यह तुर्कमेनिस्तान के गैल्किनिश क्षेत्र से भारत तक प्राकृतिक गैस लाने के लिए डिज़ाइन की गई है।
- भारत अपने परमाणु संयंत्रों के लिए 2009 से कजाकिस्तान से येलो केक (यूरेनियम ऑक्साइड) का आयात कर रहा है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: उदाहरण के लिए- भारत और किर्गिस्तान के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि, भारत-मध्य एशिया व्यापार परिषद की स्थापना आदि।
- सुरक्षा और रक्षा: यह सहयोग वार्षिक सैन्य अभ्यासों जैसे खंजर (भारत और किर्गिस्तान के बीच), “काजिंद” (भारत और कजाकिस्तान के बीच) आदि के माध्यम से किया जा रहा है।