भारत कुल अंग प्रत्यारोपण के मामले में तीसरे स्थान पर है, जबकि पहले स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरे पर चीन है।
- भारत जीवित दाता अंग प्रत्यारोपण के मामले में प्रथम स्थान पर है।
भारत में अंग प्रत्यारोपण के बारे में
- अंग प्रत्यारोपण को अंग विफलता के अंतिम चरण में जीवन रक्षक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
- इसका तात्पर्य किसी जीवित व्यक्ति या मृत व्यक्ति से उसके अंग को चिकित्सीय उद्देश्य के लिए किसी अन्य जीवित व्यक्ति में प्रत्यारोपित करने से है।
- अंग दान एवं प्रत्यारोपण मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 द्वारा विनियमित है। इस अधिनियम को 2011 में संशोधित किया गया था।
- इसे कानून को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
- इस कानून का उद्देश्य चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए मानव अंगों को निकालने, भंडारण करने और प्रत्यारोपण करने को विनियमित करना है। साथ ही, यह अंग दान के मामले में अंगों की किसी भी प्रकार की वाणिज्यिक खरीद-बिक्री पर सख्ती से प्रतिबंध भी लगाता है।
- राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (NOPT) का उद्देश्य प्रत्यारोपण की उपलब्धता को बढ़ाना, जागरूकता में सुधार करना और आवश्यक अवसंरचना में वृद्धि करना है।
- यह कार्यक्रम एक नेटवर्क के माध्यम से संचालित होता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं-
- राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO);
- क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (ROTTOs); तथा
- राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTOs)।
- अंग प्रत्यारोपण में इस वृद्धि के बावजूद, भारत में मृतक के अंग दान की दर बहुत कम है, जो प्रति दस लाख जनसंख्या पर 1 से भी कम है। स्पेन में यह दर प्रति दस लाख जनसंख्या पर 48 है।
अंग प्रत्यारोपण के लिए शुरू की गई पहलें
- "एक राष्ट्र एक नीति": मृतक दाता से अंग प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं के लिए राज्य के मूल निवासी व आयु सीमा संबंधी शर्तों और पंजीकरण शुल्क को हटा दिया गया है।
- आधार-लिंक्ड डिजिटल प्रतिज्ञा पोर्टल: इसे सितंबर 2023 में लॉन्च किया गया था। इसके माध्यम से 3 लाख से अधिक नागरिकों ने अंगदान के लिए अपनी प्रतिज्ञा को पंजीकृत कराया है।
- "अंगदान जन जागरूकता अभियान" को 2024 में शुरू किया गया था।