भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रतिस्पर्धा पर बाजार अध्ययन” शीर्षक से एक अध्ययन जारी किया | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

In Summary

सीसीआई के अध्ययन में एआई के तेजी से वैश्विक और भारतीय बाजार विकास, एल्गोरिथम दुरुपयोग, डेटा प्रभुत्व और एआई-संचालित मिलीभगत जैसी प्रतिस्पर्धा चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, तथा बेहतर विनियमन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सिफारिश की गई है।

In Summary

CCI ने भारत की बाजार गतिशीलता, प्रतिस्पर्धा और विनियामक फ्रेमवर्क पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के महत्वपूर्ण प्रभाव की जांच करते हुए एक अध्ययन जारी किया है।

वैश्विक और भारतीय AI बाजार की संवृद्धि

  • वैश्विक: अंकटाड (UNCTAD) के अनुसार, वैश्विक AI बाजार 2023 के 189 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2033 तक 4.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है यानी इसमें लगभग 25 गुना वृद्धि होगी।
  • भारत: BCG–NASSCOM की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का AI बाजार हर साल 25–35% की दर से बढ़कर 2027 तक 17–22 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।

वर्तमान AI के युग में प्रतिस्पर्धा संबंधी महत्वपूर्ण मुद्दे

  • एल्गोरिदमिक एकतरफा आचरण (प्रभुत्व का दुरुपयोग): बड़ी कंपनियां एल्गोरिदम का इस्तेमाल करके स्वयं को वरीयता देने या प्रिडेटरी प्राइसिंग जैसी रणनीतियां अपना सकती हैं।
    • इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट्स और महंगे कंप्यूटेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पर कुछ बड़ी कंपनियों का नियंत्रण उनके बाजार प्रभुत्व को मजबूत करता है तथा नए अभिकर्ताओं से प्रतिस्पर्धा को सीमित करता है।
  • मूल्य निर्धारण पद्धतियां और भेदभाव: AI-आधारित मूल्य निर्धारण (जैसे- गतिशील, वैयक्तिकृत या लक्षित मूल्य निर्धारण) उन्नत विश्लेषण का उपयोग करता है, ताकि उपभोक्ता की भुगतान करने की अनुमानित इच्छा के आधार पर कीमतों को निर्धारित किया जा सके। यह कमजोर वर्गों के शोषण के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  • एल्गोरिदमिक समन्वित आचरण (मिलीभगत): उदाहरण के लिए- AI एल्गोरिदम स्व-शिक्षण विधियों के माध्यम से बिना मानव हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से मूल्य निर्धारण, बाजार आवंटन या बोली-प्रक्रिया का समन्वय कर सकते हैं। इससे बाजार में हुई मिलीभगत का पता लगाना कठिन हो जाएगा।

CCI द्वारा क्या उपाय किए जा सकते हैं?

  • विनियामक क्षमता निर्माण: CCI अपनी तकनीकी क्षमताओं और अवसंरचना को सशक्त कर सकता है तथा डिजिटल बाजार एवं AI विशेषज्ञों का एक थिंक टैंक बनाने पर विचार कर सकता है।
  • अंतर-विनियामक समन्वय: आयोग समझौता ज्ञापनों (MoUs) के जरिए अन्य सरकारी विभागों और विनियामकों के साथ समन्वय को बढ़ावा देने का प्रयास कर सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: आयोग OECD जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा प्राधिकरणों के साथ साझेदारी कर प्रवर्तन रणनीतियों का समन्वय कर सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय विनियामक पद्धतियां

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका मौजूदा एंटीट्रस्ट कानूनों और क्षेत्र-विशिष्ट नियमों पर निर्भर करता है।
  • यूरोपीय संघ: इसने ऐतिहासिक AI एक्ट को अपनाया है। इस कानून में AI प्रणालियों को विनियमित करने के लिए जोखिम-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है।
  • यूनाइटेड किंगडम: इसने डिजिटल बाजार, प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता (DMCC) अधिनियम 2024 लागू किया है। यह कानून "रणनीतिक बाजार स्थिति" वाली फर्मों के लिए उचित प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने हेतु एक व्यवस्था का प्रावधान करता है।
Watch Video News Today
Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features