संयुक्त राज्य अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों; जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को वर्ष 2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
पृष्ठभूमि
- भौतिकी में एक बड़ा प्रश्न यह रहा है कि किस अधिकतम आकार की प्रणाली में क्वांटम गुण प्रदर्शित किए जा सकते हैं।
- लंबे समय तक यह माना जाता रहा है कि यह आकार परमाण्विक (atomic) और उप-परमाण्विक (sub-atomic) स्तरों तक सीमित हैं।
- पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों ने 40 साल पहले किए गए अपने शोध में यह प्रदर्शित किया था कि क्वांटम मेकेनिक्स के सिद्धांत बड़े (मैक्रोस्कोपिक) स्तर पर भी देखे जा सकते हैं। यह प्रणाली इतनी बड़ी है कि इसे हाथ में पकड़ा जा सकता है।
- उन्होंने यह व्यवहार मैकेनिकल टनलिंग और एनर्जी क्वांटाइजेश के प्रयोगों के माध्यम से सिद्ध किया।
प्रयोग और शोध के बारे में
- क्वांटम मेकेनिक्स एक कण को क्वांटम टनलिंग नामक प्रक्रिया के माध्यम से एक अवरोधक के आर-पार गुजरने की अनुमति देती है।
- दूसरे शब्दों में, क्वांटम टनलिंग का मतलब है कि कण भौतिक दीवारों से होकर भी गुजर सकते हैं। (इन्फोग्राफिक देखिए)।
- इससे पहले, ऐसा अनूठा व्यवहार सूक्ष्म (माइक्रोस्कोपिक) स्तर पर ही देखा गया था।
- हालांकि, इन वैज्ञानिकों ने दिखाया कि बड़े (मैक्रोस्कोपिक) स्तर पर भी क्वांटम टनलिंग गुणों को प्रदर्शित करना संभव है।
- इसके लिए उन्होंने दो सुपरकंडक्टिंग अवयवों वाले एक विद्युत परिपथ (electric circuit) का उपयोग किया, जिन्हें एक पतली गैर-चालक (non-conductive) परत से अलग किया गया था।
- इस संरचना को जोसेफसन जंक्शन नाम दिया गया।
- इससे यह प्रणाली क्वांटाइज्ड हो गई यानी यह केवल निर्धारित, असतत मात्राओं (discrete amounts) में ही ऊर्जा को अवशोषित या उत्सर्जित कर सकती थी जैसा कि क्वांटम मैकेनिक्स में भविष्यवाणी की गई थी।
- इसके लिए उन्होंने दो सुपरकंडक्टिंग अवयवों वाले एक विद्युत परिपथ (electric circuit) का उपयोग किया, जिन्हें एक पतली गैर-चालक (non-conductive) परत से अलग किया गया था।
महत्त्व
- इस खोज का उपयोग क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम सेंसर और कंप्यूटर माइक्रोचिप्स में अगली पीढ़ी के ट्रांजिस्टर विकसित करने में किया जा सकता है।
![]() क्वांटम मैकेनिक्स के बारे में
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