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अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार 2025 (Nobel Prize in Economic Sciences 2025)

12 Nov 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

अर्थशास्त्र का स्वेरिजेस रिक्सबैंक पुरस्कार 2025 (अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार) जोएल मोक्यर, फिलिप एगियन और पीटर हॉविट को संयुक्त रूप से नवाचार-संचालित आर्थिक संवृद्धि की व्याख्या के लिए प्रदान किया गया है।

स्वेरिजेस रिक्सबैंक पुरस्कार इन इकोनॉमिक साइंसेज़ (अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार) के बारे में

  • स्थापना: इसकी स्थापना 1968 में स्वेरिजेस रिक्सबैंक (स्वीडन के केंद्रीय बैंक) द्वारा की गई थी।
    • यह अल्फ्रेड नोबेल की 1895 की वसीयत द्वारा स्थापित पांच मूल नोबेल पुरस्कारों में से एक नहीं है।
  • प्रदाता: द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज।
  • प्रथम प्राप्तकर्ता: 1969 में रैगनर फ्रिश और जॉन टिनबर्गेन में यह पुरस्कार मिला था।
    • अमर्त्य सेन अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय थे। उन्हें यह पुरस्कार कल्याणकारी अर्थशास्त्र और सामाजिक चयन सिद्धांत में उनके योगदान के लिए 1998 में प्रदान किया गया था।
  • पुरस्कार में शामिल हैं: एक पदक, एक व्यक्तिगत डिप्लोमा और नकद पुरस्कार राशि।

पुरस्कार विजेताओं के विशिष्ट योगदान

जोएल मोक्यर: सतत संवृद्धि की आवश्यक शर्तें

  • उन्हें यह पुरस्कार "प्रौद्योगिकीय प्रगति के माध्यम से सतत संवृद्धि के लिए आवश्यक शर्तों की पहचान करने" के लिए दिया गया।
  • प्रौद्योगिकीय उन्नति से सतत संवृद्धि प्राप्त करने के लिए तीन मुख्य तत्वों का मौजूद होना आवश्यक है:
    • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का संयुक्त विकास
    • यांत्रिक क्षमता
    • परिवर्तन के प्रति खुला समाज

फिलिप एगियन और पीटर हॉविट: सृजनात्मक विनाश का सिद्धांत

  • उन्हें 1992 में उनके द्वारा प्रतिपादित 'सृजनात्मक विनाश' (Creative Destruction) के गणितीय मॉडल (फ्रेमवर्क) के लिए सम्मानित किया गया है।
  • सृजनात्मक विनाश उस प्रक्रिया का वर्णन करता है जिसमें जब कोई नवीन और बेहतर उत्पाद बाज़ार में आता है, तो उससे पुराने उत्पाद अप्रचलित हो जाते हैं, तथा उन्हें बेचने वाली कंपनियां प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाती हैं।
    • यह प्रक्रिया 'सृजनात्मक' इसलिए है क्योंकि इसमें कुछ नया शामिल होता है और 'विनाशकारी' इसलिए है क्योंकि यह मौजूदा उत्पादों से बेहतर प्रदर्शन करती है।
  • उनके मॉडल का एक प्रमुख तत्व यह है कि कंपनियां पेटेंट के माध्यम से अस्थायी एकाधिकार स्थापित करके अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होती हैं। यद्यपि, पेटेंट किसी नए पेटेंट योग्य नवाचार विकसित करने वाले प्रतिस्पर्धी से कंपनियों की रक्षा नहीं करते हैं।

आर्थिक संवृद्धि में नवाचार और ज्ञान की भूमिका

भूमिका

उदाहरण

उत्पादकता में वृद्धि- इसका अर्थ है कि समान आगतों (Inputs) से अधिक उत्पादन (Output) प्राप्त होता है।

1995 से 2006 के बीच कई OECD देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका आदि में श्रम उत्पादकता में हुई वृद्धि का लगभग दो-तिहाई से तीन-चौथाई हिस्सा अमूर्त निवेशों से जुड़ा पाया गया। इनमें अनुसंधान एवं विकास (R&D), सॉफ्टवेयर, नवाचार और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) शामिल थे।

जीवन स्तर में सुधार

नई दवाइयां, परिवहन, बेहतर भोजन, इंटरनेट, संचार के लिए बढ़ते अवसर/ नए साधन 

अर्थव्यवस्थाओं का ज्ञान-आधारित प्रणालियों में रूपांतरण

विश्व बैंक के 'नॉलेज इकोनॉमी इंडेक्स' के अनुसार, जो राष्ट्र शिक्षा, ICT और R&D में निवेश करते हैं (जैसे दक्षिण कोरिया, जो अपने GDP का 4.9% R&D पर खर्च करता है), वे तीव्र GDP संवृद्धि और उच्च आय गतिशीलता का अनुभव करते हैं।

उद्यमशीलता और उच्च-मूल्य वाली नौकरियों को प्रोत्साहन

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम ने दिसंबर 2024 तक लगभग 1.5 लाख स्टार्ट-अप्स और 17 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए हैं।

 

सतत और समावेशी विकास को बढ़ावा देना 

अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) के अनुसार, 2024 में नवीन विद्युत उत्पादन के लिए अक्षय ऊर्जा (जैसे अपतटीय पवन और सौर ऊर्जा संयंत्र) सर्वाधिक लागत-प्रभावी विकल्प हैं। 

आर्थिक संवृद्धि में सृजनात्मक विनाश की भूमिका

भूमिका

उदाहरण

नवाचार और प्रौद्योगिकीय उन्नयन को बढ़ावा देना

ऑटोमोबाइल उद्योग का इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की ओर रूपांतरण/ बदलाव पारंपरिक दहन-इंजन आधारित कंपनियों को प्रतिस्थापित कर रहा है तथा बैटरी एवं स्वच्छ ऊर्जा के नए बाज़ार का निर्माण कर रहा है।

उद्यमशीलता और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना

भारत की डिजिटल क्रांति (UPI, फिनटेक, ई-कॉमर्स) ने पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली और खुदरा व्यापार को बाधित किया, जिससे वित्तीय समावेशन और नवाचार में वृद्धि हुई।

संसाधनों का पुनः आवंटन

इस प्रक्रिया में कंपनियों के बाज़ार में प्रवेश करने और बाहर निकलने की दर उच्च (अमेरिका में 10% से अधिक) पाई जाती है। इसके अतिरिक्त, यह उत्पादन के कारकों की दक्षता में सुधार करता है, जो श्रम उत्पादकता में वृद्धि से सकारात्मक रूप से संबंधित है।

आर्थिक समुत्थानशीलता (Resilience)

कोविड-19 के दौरान डिजिटल परिवर्तन में तेजी आई, जिससे दूरस्थ कार्य और ई-कॉमर्स के विकास को बढ़ावा मिला।

 

 

निष्कर्ष

आर्थिक संवृद्धि नवाचार और मजबूत आधारभूत ढांचे दोनों से उत्पन्न होती है। अवसंरचना, शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश से उत्पादकता में वृद्धि होती है, जबकि व्यापक आर्थिक स्थिरता निवेशकों के विश्वास को मजबूत करती है। संसाधनों के कुशल उपयोग और वैश्विक एकीकरण से औद्योगिक विस्तार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को और बढ़ावा मिलता है। इस गति को बनाए रखने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें खुलेपन को बढ़ावा देना, व्यवधानों का प्रबंधन करना, संरक्षणवाद का विरोध करना, सुसंगत नीतियां सुनिश्चित करना और दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान में निवेश करना शामिल है।

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