सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, शरीर क्रिया विज्ञान (फिजियोलॉजी) या चिकित्सा (मेडिसिन) के क्षेत्र में 2025 के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड रैम्सडेल और शिमोन साकागुची को "पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस" (परिधीय प्रतिरक्षा सहनशीलता) से संबंधित उनकी खोजों के लिए प्रदान किया गया है।
अन्य संबंधित तथ्य
- हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को हानिकारक रोगजनकों जैसे कि विषाणुओं, जीवाणुओं और कवकों आदि से बचाती है।
- हालांकि, इसे यह भी सुनिश्चित करना होता है कि यह अपनी ही कोशिकाओं पर हमला न करे क्योंकि स्वस्थ शारीरिक क्रिया के लिए यह संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है।
- इस संतुलन को बनाने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली दो प्रकार की सहिष्णुताओं; केंद्रीय सहिष्णुता (Central Tolerance) और परिधीय सहिष्णुता (Peripheral Tolerance) का उपयोग करती है।
केंद्रीय सहिष्णुता

- यह प्रक्रिया थाइमस में होती है। थाइमस लसीका तंत्र में एक छोटी ग्रंथि है जो T कोशिकाओं का उत्पादन और प्रशिक्षण करती है। ध्यातव्य है कि T कोशिका एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका होती है।
- प्रशिक्षण के दौरान, थाइमस स्वयं-प्रतिक्रियाशील T कोशिकाओं को हटा देता है। ये हानिकारक कोशिकाएं होती हैं जो शरीर के अपने प्रोटीन पर हमला कर सकती हैं। (इन्फोग्राफिक देखें)
- हालांकि, यह प्रक्रिया पूर्ण नहीं है। इनमें से कुछ स्व-प्रतिक्रियाशील T कोशिकाएं थाइमस से निकलकर शरीर के परिसंचरण तंत्र और ऊतकों में प्रवेश कर जाती हैं, जिन्हें परिधीय ऊतक कहा जाता है।
परिधीय सहिष्णुता

- जब ये स्व-प्रतिक्रियाशील T कोशिकाएं शरीर की परिधि में पहुंच जाती हैं, तो उन्हें शरीर पर हमला करने से रोकने के लिए अतिरिक्त नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
- इस प्रक्रिया में, नियामक T कोशिकाएं (Treg cells) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- इन विशेष प्रकार की T कोशिकाओं की खोज शिमोन साकागुची ने की थी।
- ये निगरानी करने वाली नियामक T कोशिकाएं शरीर में घूमती रहती हैं और स्व-प्रतिक्रियाशील T कोशिकाओं को पहचानकर उन्हें हमारे अपने ऊतकों पर हमला करने से रोकती हैं। (इन्फोग्राफिक देखें)
- इस प्रकार, Treg कोशिकाएं यानी नियामक T कोशिकाएं एक सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्य करती हैं और शरीर को उसकी अपनी अति-सक्रिय प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं से बचाती हैं।
FOXP3 जीन की भूमिका
- मैरी ब्रंकॉ और फ्रेड रैम्सडेल ने FOXP3 जीन की खोज की है। यह जीन मानव शरीर में नियामक T कोशिकाओं (Treg cells) के विकास और कार्य को नियंत्रित करता है।
- यदि FOXP3 जीन में उत्परिवर्तन होता है, तो नियामक T कोशिकाओं का सही से उत्पादन नहीं हो पाता है।
- इसके कारण एक दुर्लभ स्व-प्रतिरक्षी (ऑटोइम्यून) रोग हो सकता है जिसे IPEX कहा जाता है। इस रोग में हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के अपने ही ऊतकों पर हमला करने लगती है।
खोज का महत्त्व
- स्व-प्रतिरक्षी (ऑटोइम्यून) रोगों का उपचार: स्व-प्रतिरक्षी रोगों में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं पर हमला करना शुरू कर देती है।
- ऐसे रोगों से पीड़ित रोगी में, नियामक T कोशिकाओं की संख्या बढ़ाने से प्रतिरक्षा प्रणाली के स्वयं पर हमला करने वाले व्यवहार को महत्वपूर्ण रूप से कम जा सकता है।
- कैंसर उपचार में भूमिका: कैंसर के मामलों में, नियामक T कोशिकाएं अक्सर ट्यूमर के आसपास बड़ी संख्या में पाई जाती हैं। वहां वे प्रतिरक्षा कोशिकाओं (जैसे, किलर T कोशिकाएं या किलर T सेल्स) की गतिविधि को कम कर देती हैं, जो अन्यथा कैंसर कोशिकाओं पर हमला करती हैं।
- इसका अर्थ यह है कि बहुत अधिक नियामक T कोशिकाएं ट्यूमर की रक्षा कर सकती हैं, जिससे वह बढ़ने लगता है। इसलिए, कई कैंसर उपचारों में यह कोशिश की जाती है कि ट्यूमर के अंदर मौजूद नियामक T कोशिकाओं को कम किया जाए या उनको अवरुद्ध किया जाए।
- यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं पर प्रभावी ढंग से हमला करने और उन्हें नष्ट करने में सहायता करता है।
अन्य समान अनुप्रयोग
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T कोशिकाएं
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