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    सुर्ख़ियों में रहे व्यक्तित्व

    Posted 25 Nov 2025

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    Article Summary

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    प्रधानमंत्री ने लचित बोरफुकन को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो एक सम्मानित अहोम सेनापति थे और जिन्हें साराघाट में मुगलों को हराने के लिए जाना जाता है। उन्होंने साहस, देशभक्ति और नेतृत्व के मूल्यों को अपनाया था, जिसे असम में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

    लचित बोरफुकन (1622-1672)

    प्रधान मंत्री ने अहोम सेनापति लचित बोरफुकन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

    लचित बोरफुकन के बारे में

    • जन्म: 24 नवंबर 1622 को असम के चराइदेव जिले में हुआ था।
    • वे अहोम साम्राज्य में सेनापति सहित कई पदों पर रहे।
      • अहोम साम्राज्य का संस्थापक सुकाफा था। अहोम राजवंश ने 1228 से 1826 ईस्वी तक असम और पूर्वोत्तर  के अधिकांश भाग पर शासन किया था।
    • वे अहोम साम्राज्य के पांच बोरफुकनों में से एक चुने गए थे तथा उन्हें प्रशासनिक, न्यायिक और सैन्य जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं।
    • सरायघाट का युद्ध (1671): राजा रामसिंह प्रथम के नेतृत्व वाली मुगल सेना को हराया था।
    • सम्मान: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA)  वर्ष 1999 से सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लचित बोरफुकन स्वर्ण पदक प्रदान करती है। 24 नवंबर को लचित दिवस मनाया जाता है। असम के जोरहाट में उनकी 125 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई है।
    • मूल्य: साहस, देशभक्ति, नेतृत्व आदि।
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    • Lachit Borphukan
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