सतत हिंद महासागर नीली अर्थव्यवस्था में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका | Current Affairs | Vision IAS
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    सतत हिंद महासागर नीली अर्थव्यवस्था में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका

    Posted 15 Dec 2025

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    Article Summary

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    भारत का लक्ष्य एक सहयोगात्मक, टिकाऊ हिंद महासागर है, जो जैव विविधता संरक्षण, क्षेत्रीय सहयोग और अभिनव वित्तपोषण जैसी लचीली, समावेशी रणनीतियों के माध्यम से जलवायु, पारिस्थितिक और सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करता है।

    भारत हिंद महासागर को एक साझा और समावेशी समुद्री क्षेत्र के रूप में देखता है, न कि प्रतिस्पर्धा के एक मंच के रूप में। भारत का दृष्टिकोण "हिंद महासागर से, विश्व के लिए" के विज़न पर आधारित है। इसका अर्थ है कि हिंद महासागर को सहयोग और सबके साथ मिलकर कार्य करने का क्षेत्र होना चाहिए, जहां सभी देशों के हितों का ध्यान रखा जाए, और यहां की शांति और समृद्धि का लाभ अंततः पूरे विश्व को मिले।

    हिंद महासागर में बढ़ती चुनौतियां 

    • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: समुद्र गर्म और अम्लीय हो रहे हैं। साथ ही, उनका जलस्तर भी बढ़ रहा है।
    • पारिस्थितिक क्षरण: अवैध, असूचित और अविनियमित (illegal, unreported, and unregulated: IUU) मत्स्यन से महासागर के पारितंत्र पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
    • सामाजिक-आर्थिक अस्थिरता: जलवायु संबंधी व्यवधानों के कारण तूफान-महोर्मि (Storm surge) प्रबल हो रहे हैं और प्रवाल भित्तियों (coral reefs) का क्षरण हो रहा है। इससे आजीविका को नुकसान पहुंच रहा है और सामाजिक स्थिरता कमजोर हो रही है।

    भारत की ब्लू ओशन रणनीति क्या होनी चाहिए?

    • सहकारी प्रबंधन: भारत को जैव विविधता संरक्षण, सतत मत्स्यन, पारिस्थितिकी-तंत्र पुनर्स्थापन तथा साझे महासागरीय क्षेत्र के रूप में साझी सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही, प्रतिस्पर्धी दोहन का बहिष्कार करना चाहिए। 
      • उदाहरण: MAHASAGAR (म्यूच्यूअल एंड हॉलिस्टिक एडवांसमेंट फॉर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ अक्रॉस रीजंस) सिद्धांत का लाभ उठाना।
    • जलवायु समुत्थानशीलता (Climate Resilience): भारत को तत्परता और अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारत इस क्षेत्र में सभी के लिए पूर्व-चेतावनी प्रणालियों को बढ़ाने, महासागर पर्यवेक्षण नेटवर्क्स को मजबूत करने आदि के लिए एक क्षेत्रीय अनुकूलन और महासागर नवाचार केंद्र स्थापित करके नेतृत्व कर सकता है।
    • समावेशी विकास: हिंद महासागर क्षेत्र में सभी के लिए हरित पोत परिवहन, अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा, संधारणीय जलीय कृषि और समुद्री जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रकों में समावेशी विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
    • वित्तीय पहलों का लाभ उठाना: ब्लू इकोनॉमी एंड फाइनेंस फोरम (BEFF) 2025; वन ओशन पार्टनरशिप जैसी पहलों के माध्यम से वित्तीय लाभ उठाना चाहिए।
      • वन ओशन पार्टनरशिप: इसे COP-30 में आरंभ किया गया था। इसका लक्ष्य 2030 तक महासागर कार्रवाई के लिए 20 बिलियन डॉलर जुटाना है। 
      • इन वैश्विक वित्त-पोषण को क्षेत्रीय प्राथमिकताओं में लगाने के लिए एक इंडियन ओशन ब्लू फंड बनाया जा सकता है।

    भारत के लिए हिंद महासागर का महत्त्व

    • आर्थिक: भारत का मात्रा के हिसाब से 95% और मूल्य के हिसाब से 68% व्यापार हिंद महासागर के माध्यम से होता है।
      • साथ ही, भारत द्वारा आयात किए जाने वाले कुल कच्चे तेल में से 80% तेल का आयात समुद्री मार्ग से किया जाता है।
    • संसाधन निर्भरता: 2.02 मिलियन वर्ग किमी के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और लगभग 11,000 किमी की तटरेखा के साथ, 2023-24 में लगभग 44.95 लाख टन मछलियां पकड़ी गई थीं।
      • भारत को मध्य हिंद महासागर का अन्वेषण करने का अनन्य अधिकार प्राप्त है। यहां भारत को मैंगनीज, कोबाल्ट, निकल और तांबे जैसे खनिजों के खनन स्थलों का लाभ प्राप्त है।  
    • सुरक्षा जोखिम: इसमें तस्करीअवैध मत्स्यनमानव दुर्व्यापार, और सामूहिक विनाश के हथियारों का प्रसार जैसे अपरंपरागत खतरे शामिल हैं। उदाहरण के लिए: 2008 का मुंबई आतंकवादी हमला।
    • Tags :
    • Blue Ocean Strategy
    • SAGAR Doctrine
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