उच्चतम न्यायालय ने 'डिजिटल अरेस्ट' के मामलों की व्यापक जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को निर्देश दिए | Current Affairs | Vision IAS
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सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह साइबर अपराध से निपटने और नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकारी एजेंसियों और आईटी प्रदाताओं के साथ मिलकर छद्म पहचान और धोखाधड़ी से जुड़े डिजिटल गिरफ्तारी घोटालों की जांच करे।

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डिजिटल अरेस्ट से संबंधित मुख्य निर्देश

  • उच्चतम न्यायालय ने CBI को डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ियों के उद्देश्य से खोले गए बैंक खातों के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत बैंकरों की भूमिका की जांच करने की पूर्ण स्वतंत्रता दी है।
  • पंजाब, तमिलनाडु, उत्तराखंड और हरियाणा सहित सभी राज्यों को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम की धारा 6 के तहत CBI को अपनी सहमति देने का निर्देश दिया गया है। इससे CBI संपूर्ण देश में जांच कर सकेगी।  
  • न्यायालय ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भी पक्षकार बनाया है तथा धोखाधड़ी वाले खातों की पहचान करने के लिए उपयोग किए जाने वाले AI व मशीन लर्निंग उपकरणों को समझाने में उसकी सहायता माँगी है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाताओं को जांचकर्ताओं के साथ पूर्ण सहयोग करने का भी निर्देश दिया गया है।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

  • डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी है। इसके तहत धोखाधड़ी करने वाला फोन कॉल या वीडियो कॉल के माध्यम से स्वयं को CBI, पुलिस, ED (प्रवर्तन निदेशालय) जैसे कानून प्रवर्तन एजेंसियों का अधिकारी बताता है और पीड़ितों पर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने का झूठा आरोप लगाकर उनसे धन की मांग करता  है।
  • वर्ष 2024 की पहली तिमाही के दौरान 'डिजिटल अरेस्ट' धोखाधड़ी की घटनाओं में भारतीयों ने ₹120 करोड़ से अधिक गँवाए हैं।

डिजिटल अरेस्ट से निपटने के लिए सरकारी पहलें

  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): इसे देश में सभी प्रकार के साइबर अपराधों से निपटने के लिए गृह मंत्रालय के तहत एक संलग्न कार्यालय के रूप में स्थापित किया गया है।
    • साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (CFMC): इसे I4C में स्थापित किया गया है। इसमें प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यवर्तियों, भुगतान संग्राहकों और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के प्रतिनिधि साइबर अपराध से निपटने के लिए मिलकर कार्य करते हैं।
  • समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त प्रबंधन सूचना प्रणाली): यह विभिन्न राज्यों/ संघ राज्यक्षेत्रों में साइबर अपराध की शिकायतों में शामिल अपराधों व अपराधियों के अंतर्राज्यीय  संपर्कों के आधार पर विश्लेषण प्रदान करता है।
  • https://cybercrime.gov.in पर 'रिपोर्ट और संदिग्ध की जांच करें': केंद्र सरकार ने यह सुविधा शुरू की है, जो नागरिकों को साइबर अपराधियों के पहचानकर्ताओं की I4C रिपॉजिटरी के लिए सर्च ऑप्शन प्रदान करती है।
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