भारत की 16वीं जनगणना
भारत सरकार ने घोषणा की है कि भारत की 16वीं जनगणना दो चरणों में होगी। इसमें देश के अधिकांश भागों के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च, 2027 और लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बर्फीले और दूरदराज के क्षेत्रों के लिए 1 अक्टूबर, 2026 निर्धारित की गई है। इस जनगणना में 1931 के बाद पहली बार देश भर में जाति गणना शामिल होगी।
जनगणना का महत्व
- चुनावी प्रभाव: जनगणना चुनावी निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का निर्धारण करती है।
- वित्तीय आवंटन: जनगणना के आंकड़े राज्यों और जिलों को केंद्रीय अनुदान, सब्सिडी और राशन आवंटन का मार्गदर्शन करते हैं।
- बुनियादी ढांचे संबंधी योजना: मंत्रालय स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों और बुनियादी ढांचे परियोजनाओं की स्थापना के लिए जनगणना डेटा का उपयोग करते हैं।
- रुझान को समझना: यह प्रवासन, शहरीकरण, रोजगार और प्रजनन की प्रवृत्तियों को समझने में मदद करता है।
- संवैधानिक भूमिका: अनुच्छेद 82 जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन का कार्य सौंपता है; अनुच्छेद 330 और 332 जनसंख्या अनुपात के आधार पर आरक्षण से संबंधित हैं।
- सामाजिक-आर्थिक दर्पण: यह पहचान, व्यवसाय, जीवन स्थितियों और पारिवारिक संरचनाओं में परिवर्तन को प्रतिबिंबित करता है।
जनगणना की प्रक्रिया
जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी:
- मकान सूचीकरण और आवास जनगणना:
- इमारतों और घरों की विशेषताओं को रिकॉर्ड करना।
- एकत्र किए गए आंकड़ों में परिवार का मुखिया, सदस्यों की संख्या, भवन का उपयोग, निर्माण सामग्री, कमरों की संख्या, स्वामित्व की स्थिति तथा पानी, बिजली और संपत्ति जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
- जनगणना आमतौर पर जनसंख्या गणना से पूर्व वर्ष में 1 मार्च से 30 सितंबर के बीच आयोजित की जाती है।
- जनसंख्या गणना:
- इसमें नाम, आयु, लिंग, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, व्यवसाय, धर्म, जाति/ जनजाति, दिव्यांगता की स्थिति और प्रवास इतिहास जैसे व्यक्तिगत डेटा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- आंकड़ों को केन्द्रीय रूप से संसाधित किया जाता है, पहले प्रोविजनल टोटल जारी किए जाते हैं, उसके बाद विस्तृत तालिकाएं जारी की जाती हैं।
- फरवरी 2027 में 20-21 दिनों के भीतर गणना पूरी हो जाने की उम्मीद है, जिसमें प्रोविजनल डेटा 10 दिनों के भीतर और अंतिम डेटा छह महीने के भीतर जारी किया जाएगा।
तकनीकी नवाचार
- डिजिटल जनगणना: मोबाइल ऐप, ऑनलाइन स्व-गणना और रियल टाइम निगरानी का उपयोग करके पहली डिजिटल जनगणना।
- स्व-गणना: परिवार अपना विवरण ऑनलाइन भर सकते हैं, जिससे गणनाकर्ताओं द्वारा सत्यापन के लिए एक विशिष्ट ID तैयार हो जाएगी।
- उपकरणों का उपयोग: गणनाकर्ताओं को पहले से लोड किए गए जनगणना ऐप्स के साथ हैंडहेल्ड डिवाइस या स्मार्टफोन का उपयोग करना होगा।
- डिजिटल अवसंरचना: इसमें मोबाइल ऐप, जियोटैगिंग टूल, क्लाउड-आधारित डेटा अपलोड सिस्टम और रीयल-टाइम डैशबोर्ड शामिल हैं।
डेटा प्रोसेसिंग में सुधार
- मानकीकृत कोड: पूर्वाग्रह और त्रुटियों को कम करने हेतु फीडबैक के लिए कोड डायरेक्टरीज़ का उपयोग।
- त्वरित प्रसंस्करण: मानकीकृत प्रविष्टियों को कंप्यूटर द्वारा शीघ्रता से संसाधित किया जा सकता है, जिससे मैन्युअल एंट्री से संबंधित त्रुटियां न्यूनतम हो जाती हैं।
चुनौतियाँ और समाधान
- डिजिटल साक्षरता: व्यापक प्रशिक्षण मॉड्यूल और उपयोगकर्ता-अनुकूल ऐप डिज़ाइन, गणनाकर्ताओं के बीच डिजिटल साक्षरता संबंधी चिंताओं का समाधान करेंगे।
- गुणवत्ता नियंत्रण: पर्यवेक्षक फ्लैग्ड फ़ॉर्म्स की समीक्षा करेंगे तथा त्रुटियों को पकड़ने और सुधारने के लिए समय-समय पर जांच की जाएगी।