ईरान-इज़रायल संघर्ष का भारतीय निर्यात पर प्रभाव
परिचय
ईरान-इज़राइल के बीच चल रहे संघर्ष के कारण बासमती चावल और चाय जैसे प्रमुख भारतीय निर्यातों की शिपमेंट रुक गई है, जिससे निर्यातकों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है।
बासमती चावल का निर्यात
- ईरान भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जो इसके कुल छह मिलियन टन निर्यात में से 1.2 मिलियन टन का आयात करता है।
- संघर्ष के कारण वर्तमान शिपमेंट और भुगतान रोक दिए गए हैं, जिससे इनकी अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में 100 डॉलर प्रति टन तक की गिरावट आई है।
- निर्यातक इस स्थिति का शीघ्र समाधान निकालने के लिए अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं।
चाय निर्यात
- भारत प्रतिवर्ष ईरान को 20,000-25,000 टन चाय का निर्यात करता है, जिसमें मुख्यतः परम्परागत चाय शामिल है।
- असम में चाय के मुख्य फसलीय सीजन के दौरान निर्यात रोक दिया गया है, जिससे बंदरगाहों पर प्रतीक्षारत शिपमेंट में देरी की संभावना है।
- बाजार की वर्तमान स्थितियां नीलामी कीमतों में गिरावट और भविष्य में शिपमेंट की अनिश्चितता को दर्शाती हैं।
व्यापक आर्थिक निहितार्थ
- निर्यातक अज़रबैजान और कजाकिस्तान जैसे अन्य बाजारों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय संघर्ष से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए हितधारकों के साथ बैठक करने की योजना बना रहा है।
- हवाई और समुद्री माल ढुलाई, ईंधन और जोखिम बीमा प्रीमियम में भी वृद्धि होने की उम्मीद है।
- होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से नौवहन समय 15-20 दिन तक बढ़ सकता है और लागत 40-50% तक बढ़ सकती है।