रूसी तेल आयात पर भारत-अमेरिका असहमति
सार्वजनिक विचलन
भारत और अमेरिका ने रूस से तेल आयात को लेकर सार्वजनिक रूप से अलग-अलग राय व्यक्त की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देगा, जबकि विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया है कि दोनों नेताओं के बीच ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई।
विदेश मंत्रालय की स्थिति
- भारत बाजार की जरूरतों के आधार पर अपने ऊर्जा स्रोतों को व्यापक बनाने और विविधता लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
- विदेश मंत्रालय ने रूसी तेल आयात में कमी से सीधे इनकार करने से परहेज किया तथा इसके बजाय व्यापक रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया।
व्यापार वार्ता पर प्रभाव
- रूसी तेल का मुद्दा तनाव का विषय रहा है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता प्रभावित हो रही है।
- आंकड़े बताते हैं कि जून और सितंबर के बीच भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) द्वारा रूसी तेल आयात में 45% की कमी आई है।
प्रमुख हस्तियों के बयान
- विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि मोदी और ट्रम्प के बीच हाल की बातचीत में तेल आयात पर चर्चा नहीं हुई।
- ट्रम्प ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत रूस से तेल आयात "शीघ्र" बंद कर देगा, लेकिन स्पष्ट किया कि यह तत्काल नहीं होगा।
- दिल्ली में अमेरिका के मनोनीत राजदूत सर्जियो गोर ने भारतीय नेताओं से मुलाकात की, लेकिन विदेश मंत्रालय ने तेल पर चर्चा की पुष्टि नहीं की।
विदेश मंत्रालय के आगे स्पष्टीकरण
- विदेश मंत्रालय ने स्थिर कीमतें और सुरक्षित आपूर्ति बनाए रखकर अस्थिर ऊर्जा बाजारों में उपभोक्ता हितों की रक्षा करने के भारत के लक्ष्य पर जोर दिया।
- भारतीय रिफाइनर नायरा पर ब्रिटेन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर भारत की प्रतिक्रिया ने एकतरफा प्रतिबंधों के खिलाफ उसके रुख को उजागर किया तथा ऊर्जा व्यापार में "दोहरे मापदंड" न अपनाने पर जोर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
- चीन ने रूस से वैध आयात के संबंध में अमेरिका की "एकतरफा धौंस" की आलोचना की।