भारत के विरुद्ध चीन के रणनीतिक आर्थिक कदम
चीन की हालिया कार्रवाइयां, जैसे- भारत में फॉक्सकॉन के आईफोन विनिर्माण संयंत्रों से 300 से अधिक चीनी इंजीनियरों को वापस बुलाना रणनीतिक कदम हैं। इसका उद्देश्य भारत के विनिर्माण विकास में बाधा डालना तथा एशिया में चीन के आर्थिक प्रभुत्व को बनाए रखना है।
भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ
- विशेषज्ञता की वापसी: इंजीनियरों ने उत्पादन लाइन स्थापना और परिचालन अनुकूलन में अमूल्य विशेषज्ञता लाई, जो भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
- कच्चे माल पर नियंत्रण: चीन उच्च तकनीकी उद्योगों के लिए आवश्यक दुर्लभ मृदा सामग्री और महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है, जिससे भारत की विनिर्माण क्षमता प्रभावित होती है।
- अनौपचारिक व्यापार प्रतिबंध: चीन पूंजीगत उपकरणों पर अनौपचारिक व्यापार प्रतिबंध लगाता है, जिससे भारत की आपूर्ति श्रृंखला बाधित होती है और विनिर्माण लागत बढ़ती है।
- भू-आर्थिक रणनीति: ये कार्य औपचारिक प्रतिबंध नहीं हैं, बल्कि अनौपचारिक उपाय हैं जो भारत की तकनीकी उन्नति और उच्च मूल्य विनिर्माण में आत्मनिर्भरता में प्रभावी रूप से बाधा डालते हैं।
चीन के आर्थिक दबाव और रणनीति
- निर्यात राजस्व पर निर्भरता: चीन की आर्थिक स्थिरता निर्यात राजस्व पर बहुत अधिक निर्भर करती है, जो बढ़ती उम्र की आबादी और अधिक उत्पादन जैसी घरेलू चुनौतियों के कारण और भी अधिक गंभीर हो जाती है।
- घरेलू आर्थिक चुनौतियाँ: पीपल्स बैंक ऑफ चाइना द्वारा ब्याज दर में कटौती से आंतरिक मांग में वृद्धि नहीं हुई है, जिससे चीन को अपने निर्यात प्रभुत्व को आक्रामक रूप से बनाए रखने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
- वैश्विक बाजार का प्रभाव: लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का चीन का व्यापार अधिशेष उसकी औद्योगिक ताकत को दर्शाता है। साथ ही, यह आंतरिक आर्थिक कमजोरियों को दूर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों पर नियंत्रण रखने की उसकी आवश्यकता को भी दर्शाता है।
भारत के लिए निहितार्थ
- सामरिक स्वायत्तता की आवश्यकता: भारत पर नए अमेरिकी टैरिफ लगाने से पश्चिमी देशों के साथ साझेदारी के बावजूद भारत के लिए सामरिक स्वतंत्रता बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
- विनिर्माण में चुनौतियाँ: भारत का विनिर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की कमी और महत्वपूर्ण घटकों के लिए आयात पर निर्भरता जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिससे इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में बाधा आ रही है।
निष्कर्ष
भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए आधारभूत विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा। यह सबक चीन द्वारा भारत की संभावित प्रतिस्पर्धा को बेअसर करने के प्रयासों से स्पष्ट होता है। भारत पर एक आत्मनिर्भर विनिर्माण महाशक्ति बनने की ज़िम्मेदारी है।