जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025, लोकसभा में 16 केंद्रीय अधिनियमों में संशोधन के लिए पेश किया गया, जिससे कुछ अपराधों और दंडों को गैर-अपराधिक और युक्तिसंगत बनाया जा सके। यह जन विश्वास अधिनियम, 2023 के बाद आया है, जिसने 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रावधानों का गैर-अपराधीकरण किया था।
उद्देश्य
- जीवन और व्यापार को आसान बनाने के लिए विश्वास आधारित शासन को बढ़ावा देना।
- मुख्य आपराधिक न्याय क्षेत्रों से परे आपराधिक कानून की पहुंच को सीमित करना।
वर्तमान कानूनों से संबंधित मुद्दे
- सड़क पर गाय का दूध निकालने जैसे छोटे अपराधों के लिए भी कड़ी सजा।
- 1,536 से अधिक व्यापार-संबंधी कानूनों में कारावास की धाराएं हैं।
- अत्यधिक अपराधीकरण के कारण कानूनी प्रणाली पर बोझ बढ़ गया है और जिला अदालतों में 3.6 करोड़ से अधिक आपराधिक मामले लंबित हैं।
विधेयक के प्रस्ताव
- व्यवसाय संचालन को आसान बनाने के लिए 355 प्रावधानों में संशोधन करके 288 को अपराधमुक्त किया जाएगा।
- जीवन को आसान बनाने के लिए 67 प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा।
- लागू अधिनियमों में शामिल हैं: भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, मोटर वाहन अधिनियम, विद्युत अधिनियम, आदि।
प्रमुख विशेषताऐं
- 76 अपराधों में पहली बार अपराध करने वालों के लिए "चेतावनी" और "सुधार नोटिस" शुरू किया जाएगा।
- छोटी-मोटी तकनीकी चूकों के लिए कारावास की धारा को दंड से प्रतिस्थापित करना।
- बार-बार अपराध करने पर हर तीन साल में 10% की वृद्धि के साथ दंड को तर्कसंगत बनाया जाए।
यह विधेयक वर्तमान में लोक सभा की प्रवर समिति के समक्ष समीक्षाधीन है, तथा अगले सत्र तक इसकी रिपोर्ट आने की उम्मीद है।