शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें
हाल ही में SCO शिखर सम्मेलन सदस्य देशों के बीच उल्लेखनीय समझौतों और चर्चाओं के साथ संपन्न हुआ, जिसमें आर्थिक विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
प्रमुख समझौते और वक्तव्य
- नये विकास बैंक की स्थापना:
सदस्य देशों ने आर्थिक सहयोग और विकास को बढ़ाने के लिए एक नया विकास बैंक स्थापित करने के चीनी प्रस्ताव का समर्थन किया। - एकतरफा बलपूर्वक उपायों का विरोध:
संयुक्त घोषणा-पत्र में एकतरफा उपायों के विरोध पर जोर दिया गया, जिसका उद्देश्य संभवतः अमेरिका द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों को हतोत्साहित करना था। - ट्रेड फ़ैसिलिटेशन:
SCO के भीतर व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
नेताओं के संबोधन
- चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग:
"धमकाने वाली प्रथाओं" का विरोध करने का आह्वान किया गया तथा एक प्रमुख क्षेत्रीय संगठन के रूप में SCO के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। - भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी:
बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने में SCO की भूमिका पर जोर दिया गया तथा सुरक्षा, संपर्कता और अवसरों के लिए अधिक कार्रवाई का आह्वान किया गया।
भारत का रुख
- चीन के BRI का समर्थन न करना:
भारत ने संप्रभुता संबंधी चिंताओं के कारण बेल्ट एंड रोड पहल का समर्थन करने से इनकार कर दिया, विशेष रूप से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से गुजरने वाली परियोजनाओं के संबंध में। - आतंकवाद के प्रति प्रतिक्रिया:
इस समूह ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की तथा आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख तथा समर्थन करने वाले देशों की जवाबदेही की आवश्यकता पर बल दिया।
सुरक्षा और कनेक्टिविटी
- रणनीतिक पहल:
मोदी ने चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसी परियोजनाओं के लिए समर्थन पर जोर दिया। - संप्रभुता के सिद्धांत:
संपर्क प्रयासों में सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए।
SCO का महत्व
शिखर सम्मेलन में SCO के आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद पर ध्यान केंद्रित करने से लेकर क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए एक व्यापक मंच के रूप में विकसित होने पर जोर दिया गया, जो बीजिंग के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।