RTE अधिनियम और अल्पसंख्यक संस्थानों पर 2014 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 2014 के फैसले का पुनर्मूल्यांकन करने का आह्वान किया है, जिसमें अल्पसंख्यक संस्थानों को बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के दायरे से छूट दी गई थी।
पृष्ठभूमि
- 'प्रमति एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट बनाम भारत संघ' मामले में 2014 के फैसले में अनुच्छेद 30(1) के तहत अल्पसंख्यक स्कूलों पर RTE अधिनियम को लागू नहीं करने योग्य घोषित किया गया, जो शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के लिए धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करता है।
- यह फैसला पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया, जिसमें कहा गया कि यह अधिनियम अल्पसंख्यक संस्थानों के संबंध में संविधान के विरुद्ध है।
वर्तमान घटनाक्रम
- न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की दो सदस्यीय पीठ ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) से संबंधित अपीलों पर सुनवाई करते हुए 2014 के फैसले पर सवाल उठाया।
- पीठ ने तर्क दिया कि RTE अधिनियम सभी अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू होना चाहिए, चाहे वे सहायता प्राप्त हों या गैर-सहायता प्राप्त, उनके अल्पसंख्यक चरित्र को नष्ट किए बिना।
अनुच्छेद 30(1) और RTE अधिनियम की व्याख्या
- न्यायालय ने अनुच्छेद 30(1) की उद्देश्यपूर्ण व्याख्या पर जोर दिया, तथा सुझाव दिया कि इसमें अनुच्छेद 21A के साथ कोई अंतर्निहित संघर्ष नहीं है, जो शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है।
- न्यायालय ने सुझाव दिया कि दोनों अनुच्छेदों को सामंजस्यपूर्ण ढंग से सह-अस्तित्व में रहना चाहिए।
RTE अधिनियम की धारा 12(1)(C)
- यह धारा स्कूलों में प्रवेश स्तर पर वंचित और कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए 25% आरक्षण का प्रावधान करती है।
- पीठ ने कहा कि यद्यपि इससे संस्थागत स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है, लेकिन इससे संस्थाओं का अल्पसंख्यक चरित्र नष्ट नहीं होता।
- धारा 12(1)(C) में वित्तीय तटस्थता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिपूर्ति तंत्र भी शामिल है।
- अदालत ने सुझाव दिया कि धारा 12(1)(C) और अनुच्छेद 30(1) के बीच किसी भी संघर्ष को अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को प्रवेश देकर हल किया जा सकता है जो 'कमजोर वर्ग' या 'वंचित समूह' के रूप में योग्य हैं।
शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET)
- न्यायालय ने कहा कि TET, RTE अधिनियम की धारा 23 के तहत निर्धारित न्यूनतम योग्यता है, जो अल्पसंख्यक संस्थानों पर भी लागू होती है।