पूर्वी दिल्ली में यमुना नदी के पास विस्थापन का प्रभाव
शुक्रवार को घटते यमुना जलस्तर ने पूर्वी दिल्ली में विस्थापित परिवारों के राहत शिविरों की भयावह स्थिति को उजागर कर दिया, जिससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चुनौतियां उजागर हो गईं।
रहने की स्थिति और स्वास्थ्य संबंधी खतरे
- विस्थापित परिवार अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं वाले तंबुओं में रह रहे हैं।
- शौचालयों के अभाव के कारण महिलाओं और बच्चों को शौच के लिए रुके हुए पानी से होकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं पैदा होती हैं।
- निवासियों ने बताया कि उन्हें बार-बार मच्छरों के काटने और सांपों के दिखने की शिकायत रहती है, जिससे बीमारी फैलने और व्यक्तिगत सुरक्षा को लेकर भय बढ़ जाता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ
- वेक्टर जनित रोग: स्थिर पानी के कारण डेंगू और मलेरिया का खतरा अधिक होता है, जिससे मच्छरदानी और चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता उजागर होता है।
- जलजनित रोग: परिस्थितियां हैजा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस A और E के फैलने के लिए अनुकूल हैं। प्रकोप को रोकने के लिए स्वच्छ शौचालय और अपशिष्ट प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता है।
- चिकित्सा पेशेवर रोगों के समय पर निदान और उपचार के लिए शिविरों में चिकित्सा दल तैनात करने के महत्व पर बल देते हैं।
NGO और चिकित्सा सहायता
- बुखार, सर्दी और दस्त जैसी सामान्य बीमारियों के कारण दवाओं, सैनिटरी नैपकिन और मौखिक पुनर्जलीकरण समाधान की आवश्यकता।
यह स्थिति विस्थापित परिवारों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा के लिए बेहतर स्वच्छता सुविधाओं, चिकित्सा सहायता और निवारक उपायों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करती है।