ट्रम्प प्रशासन के तहत अमेरिका-भारत संबंध
संबंधों की वर्तमान स्थिति
ट्रम्प के हालिया बयान भारत के प्रति नरम रुख का संकेत दे सकते हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे बचे हुए हैं जो अमेरिका-भारत संबंधों में प्रगति में बाधा बन सकते हैं।
- अमेरिका भारत को एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है, लेकिन दोनों देशों के बीच मतभेद मौजूद हैं, विशेषकर व्यापार और भारत द्वारा रूस से तेल खरीद के मुद्दे पर।
- भारत अलग-थलग नहीं है; व्यापार और नाटो खर्च को लेकर यूरोप के साथ भी ऐसी ही समस्याएं हैं।
- अमेरिका भारत द्वारा रूसी तेल के बड़े पैमाने पर आयात पर आपत्ति जताता है, जो रूस के निर्यात का 20% नहीं होना चाहिए।
व्यापार और प्रतिबंध
अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता जारी है, लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक समझौता नहीं हो पाया है।
- अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ बरकरार रखा है तथा यूक्रेन संघर्ष के संबंध में रूस पर दबाव बनाने के लिए और अधिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है।
- ट्रम्प प्रशासन रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है, जिसका असर भारत पर पड़ेगा।
रणनीतिक गतिशीलता और प्रभाव
आंतरिक अमेरिकी गतिशीलता और अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण, संबंधों को आकार देने में भूमिका निभाते हैं।
- ट्रम्प के समर्थकों में से कुछ लोग अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत बनाए रखने की वकालत कर रहे हैं।
- अमेरिकी कार्रवाई के कारण भारत के चीन और रूस के साथ गठबंधन करने की आशंकाएं व्यक्त की गई हैं, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है।
भविष्य की संभावनाएँ
संबंधों को स्थिर करने के प्रयास सहयोग के नए रास्ते खोल सकते हैं।
- सार्वजनिक दबाव के बिना तेल आयात के मुद्दों पर संरेखण की संभावना है।
- यदि नई रणनीतियों और प्रतिभागियों के साथ व्यापार समझौते की पुनःकल्पना की जाए तो संभावनाएं मौजूद हैं।
- युद्ध अभ्यास जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों का जारी रहना, निरंतर सहयोग का संकेत है।
- आगामी अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा रणनीति चीन से ध्यान हटा सकती है, जो नई प्राथमिकताओं का संकेत है।