लाल किले पर वायु प्रदूषण का प्रभाव
परिचय
दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित लाल किला बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण काफ़ी नुकसान झेल रहा है। इन प्रभावों को समझने के लिए, “कॅरेक्टराइज़ेशन ऑफ रेड सैंडस्टोन एंड ब्लैक क्रस्ट टू एनालाइज़ एयर पॉल्यूशन इम्पैक्ट्स ऑन अ कल्चरल हेरिटेज बिल्डिंग: रेड फोर्ट, दिल्ली, इंडिया” शीर्षक से एक अध्ययन किया गया है।
अध्ययन में लगी टीम
- यह अनुसंधान भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा इटली के विदेश मंत्रालय (MAECI) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास था।
- इसमें IIT रुड़की, IIT कानपुर, का' फोस्कारी यूनिवर्सिटी ऑफ वेनिस और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वैज्ञानिक शामिल थे।
प्रमुख निष्कर्ष
- लाल बलुआ पत्थर का उखड़ना, प्लास्टर की गई दीवारों का फटना, नमी में वृद्धि तथा मेहराबों में नमक का फूलना।
- मुख्य रूप से जिप्सम, बैसानाइट, वेडेलाइट, क्वार्ट्ज और माइक्रोक्लाइन से बनी काली परतों का निर्माण वायु प्रदूषण से जुड़ा हुआ है।
- ब्लैक क्रस्ट के नमूनों में भारी धातुओं की उच्च सांद्रता, जीवाश्म ईंधन के जलने, वाहनों से होने वाले उत्सर्जन और निर्माण गतिविधियों के कारण पाई गई।
प्रदूषक का स्तर और प्रभाव
- PM2.5, PM10 और NO2 का उच्च स्तर राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) से अधिक हो गया।
- अध्ययन में PM10 की वार्षिक औसत सांद्रता में लगातार वृद्धि को एक खतरा बताया गया है।
- विघटन प्रक्रियाओं में सतहों पर सल्फेशन और आंतरिक क्रिस्टलीकरण तनाव के कारण दरारें उत्पन्न होना शामिल है।
सिफारिशों
- रख-रखाव सफाई कार्यक्रम को लागू करना तथा काली परत के जमाव से रोकने के लिए स्टोन प्रोटेक्टर लगाना।
- सांस्कृतिक विरासत भवनों (CHBs) पर प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए दीर्घावधि वायु प्रदूषण डेटा पर विचार करना।
पर्यावरणीय और संरचनात्मक परिवर्तन
- ऐतिहासिक रूप से यह किला तीन ओर से खाई द्वारा संरक्षित था, जिसका पूर्वी भाग यमुना नदी की ओर था, जिसे अब बदल दिया गया है।
- वर्तमान में किले के आसपास का क्षेत्र इनर दिल्ली रिंग रोड के अंतर्गत आता है, जिससे वाहनों से होने वाला प्रदूषण बढ़ रहा है।