राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण
NCR को वायु प्रदूषण की समस्या का लगातार सामना करना पड़ता है, जिसे अक्सर मौसमी समस्या माना जाता है, लेकिन यह साल भर बनी रहने वाली स्वास्थ्य संबंधी चिंता है, जिसे पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता नहीं मिल पाती।
वायु प्रदूषण के स्रोत और प्रभाव
- प्राथमिक स्रोत:
- जीवाश्म ईंधन दहन, कोयला विद्युत संयंत्र, औद्योगिक समूह, डीजल बेड़े और ईंट भट्टे।
- वर्तमान आँकड़े:
- भारत में 74% से अधिक बिजली उत्पादन कोयले से होता है।
- भौगोलिक कारक:
- उत्तर भारत में ठंडे तापमान और भू-भाग के कारण प्रदूषक जमीन के निकट फंस जाते हैं।
वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभाव
- पहचान में चुनौतियाँ:
- वायु प्रदूषण से कोई एक पहचान योग्य रोग उत्पन्न नहीं होता, बल्कि यह श्वसन और हृदय संबंधी रोगों को बढ़ा देता है।
- लंबे समय तक PM2.5 के संपर्क में रहने से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और तंत्रिका संबंधी परिवर्तन जैसी गैर-संचारी बीमारियां हो सकती हैं।
- आंकड़े:
- अनुमान है कि 2023 में भारत में प्रदूषण के कारण दो मिलियन से अधिक मौतें होंगी।
- PM2.5 में प्रत्येक 10 µg/m³ की वृद्धि से वार्षिक मृत्यु दर 8.6% और दैनिक मृत्यु दर 1.4% बढ़ जाती है।
डेटा और निगरानी चुनौतियाँ
- डेटा सीमाएँ:
- भारत में स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े दुर्लभ हैं तथा उनका उपयोग कम होता है, तथा इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHR) को असमान रूप से अपनाया जाता है।
- निगरानी कार्यक्रम:
- राष्ट्रीय आउटडोर वायु एवं रोग निगरानी प्रणाली श्वसन संबंधी आपात स्थितियों पर नज़र रखती है, लेकिन इसमें उन्नत विश्लेषणात्मक क्षमताओं का अभाव है।
प्रणालीगत अंतराल और परिणाम
- डिस्कनेक्ट करना:
- प्रदूषण उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों, विनियमन, स्वास्थ्य प्रभाव निगरानी और जन जागरूकता के बीच महत्वपूर्ण अंतर है।
- प्रतिक्रियात्मक उपाय:
- कृत्रिम वर्षा और पानी की बौछारों जैसे अस्थायी उपायों पर निर्भरता, प्रणालीगत परिवर्तन की आवश्यकता को दबा देती है।