भारत में पराली जलाना और वायु प्रदूषण
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पराली जलाने में शामिल किसानों के खिलाफ मुकदमा चलाने की संभावना पर विचार किया है। खासकर अक्टूबर और नवंबर के महीनों के दौरान, इससे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे क्षेत्रों में वायु प्रदूषण काफ़ी बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण के कारण
- पराली जलाने से विषैले कणीय पदार्थ का उत्सर्जन बढ़ जाता है।
- अन्य स्रोतों में वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक गतिविधियाँ और कचरा जलाना शामिल हैं।
- प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियां उत्सर्जन को रोककर स्थिति को और बिगाड़ देती हैं।
प्रदूषण से निपटने के प्रयास
प्रदूषण के कारणों और समाधानों को समझने के बावजूद, प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र के प्रयास अपर्याप्त रहे हैं।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)
CAQM की स्थापना राज्यों में वायु गुणवत्ता के प्रबंधन के लिए की गई थी, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण इसे स्वतंत्र रूप से कार्य करने में कठिनाई हो रही है।
- उदाहरण: सार्वजनिक और राजनीतिक विरोध के कारण 'एंड ऑफ लाइफ' वाहनों पर प्रतिबंध लगाने में देरी।
- CAQM ने अड़ियल किसानों और सीमित प्रवर्तन जैसी चुनौतियों के कारण पराली जलाने की समस्या का प्रभावी ढंग से समाधान नहीं किया है।
प्रवर्तन से संबंधित मुद्दे
- पंजाब में खेतों में आग लगने की घटनाओं में कमी आने के दावे विवादित रहे हैं।
- पारदर्शिता का अभाव और राजनीतिक दबाव प्रभावी समाधान में बाधा डालते हैं।
सिफारिशें
- अनुपालन के लिए प्रोत्साहन बढ़ाना और मौजूदा कानूनों को लागू करना।
- यथार्थवादी लक्ष्यों और उपलब्धियों के बारे में पारदर्शी रहना।
- किसानों के विरुद्ध दंडात्मक उपायों, जैसे कि जेल भेजने के विकल्प पर विचार करना।