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राष्ट्रों ने अंतर्राष्ट्रीय जल की रक्षा के लिए दुनिया की पहली संधि का अनुमोदन किया | Current Affairs | Vision IAS

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राष्ट्रों ने अंतर्राष्ट्रीय जल की रक्षा के लिए दुनिया की पहली संधि का अनुमोदन किया

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हाई सी संधि समझौता

हाई सी संधि अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में समुद्री जैव विविधता के संरक्षण के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कानूनी ढाँचे का प्रतिनिधित्व करती है। यह पहल महत्वपूर्ण है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में महासागर का लगभग दो-तिहाई और पृथ्वी की सतह का लगभग आधा हिस्सा शामिल है। इससे वे अत्यधिक मछली पकड़ने, जलवायु परिवर्तन और गहरे समुद्र में खनन के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।

संधि की मुख्य विशेषताएं 

  • महत्व: 60वें राष्ट्र के रूप में मोरक्को के हस्ताक्षर के साथ, यह संधि अगले वर्ष प्रभावी हो जाएगी तथा यह अंतर्राष्ट्रीय जल में जैव विविधता संरक्षण के लिए पहला कानूनी ढांचा बन जाएगा। 
  • भाग लेने वाले देश: हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस और जापान ने अभी तक इसका अनुसमर्थन नहीं किया है, लेकिन अमेरिका और चीन ने इस संधि पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जो बिना किसी कानूनी बाध्यता के इरादे को दर्शाता है। अनुसमर्थन के साथ ही संधि के प्रभावी होने में 120 दिनों का समय लग जाएगा।
  • कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियां: जैसा कि विश्व वन्यजीव कोष के जोहान बर्गेनस ने रेखांकित किया है, इस संधि के लिए बड़ी नौकाओं, अधिक ईंधन और एक नवीन विनियामक प्रणाली सहित महत्वपूर्ण संभारतंत्रीय सहायता की आवश्यकता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: हाई सी जलवायु नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण हैं, ये ऊष्मा और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और पृथ्वी की आधी ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। इस संधि का उद्देश्य "30x30" लक्ष्य का समर्थन करना है, जिससे 2030 तक ग्रह की 30% भूमि और समुद्र की रक्षा हो सके। 

संधि के प्रावधान

  • समुद्री संरक्षित क्षेत्र: यह संधि संरक्षित क्षेत्रों के निर्माण के लिए एक प्रक्रिया स्थापित करती है, जिसमें गहरे समुद्र में खनन और भू-इंजीनियरिंग जैसी गतिविधियों के लिए नियमन शामिल हैं। 
  • बहुपक्षीय निर्णय: निर्णय पक्षों के सम्मेलन द्वारा लिए जाएंगे, जिसके लिए देशों को मताधिकार के लिए अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
  • राष्ट्रीय जिम्मेदारियां: देशों को अपने जहाजों को स्वयं विनियमित करना चाहिए; किसी देश के झंडे तले जहाजों द्वारा उल्लंघन उस देश की जिम्मेदारी है।  

विशेषज्ञों की राय और चिंताएँ 

  • संभावित सीमाएं: गिलर्मो क्रेस्पो ने चेतावनी दी है कि प्रमुख मछली पकड़ने वाले देशों की भागीदारी के बिना, संधि की प्रभावशीलता कम हो सकती है। 
  • राष्ट्रीय जल पर प्रभाव: लिसा स्पीयर इस बात पर जोर देती हैं कि समुद्री जीवन राजनीतिक सीमाओं का पालन नहीं करता है और हाई सी की रक्षा करना राष्ट्रीय जल स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। 
  • कार्रवाई का आह्वान: सिल्विया अर्ल ने चेतावनी दी है कि संधि के अनुसमर्थन के साथ ही संरक्षण प्रयासों को नहीं रोका जाना चाहिए, क्योंकि महासागरीय दोहन एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। 

लघु द्वीपीय राष्ट्रों के लिए महत्व 

वानुअतु जैसे देशों के लिए यह संधि महासागर संबंधी निर्णयों में भागीदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उनके जलवायु और पर्यावरण पर प्रभाव पड़ेगा।  

  • Tags :
  • High Seas Treaty
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