H1-B वीज़ा शुल्क वृद्धि पर कार्यकारी आदेश
19 सितंबर, 2025 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत H1-B वीज़ा शुल्क को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाकर $100,000 प्रति वर्ष कर दिया गया। यह कदम आव्रजन नीतियों में सुधार और अमेरिकी कामगारों की सुरक्षा के प्रशासन के प्रयासों का हिस्सा है।
शुल्क वृद्धि के पीछे तर्क
- H1-B वीजा कार्यक्रम को अमेरिकी आव्रजन ढांचे में "सबसे अधिक दुरुपयोग" वाली प्रणालियों में से एक बताया गया है, जिसका उद्देश्य अत्यधिक कुशल विदेशी श्रमिकों को लाना है।
- शुल्क वृद्धि का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल "वास्तव में असाधारण" व्यक्तियों को ही अमेरिका में लाया जाए तथा उन्हें अमेरिकी श्रमिकों का स्थान लेने से रोका जाए।
- राष्ट्रपति ट्रम्प ने "उत्कृष्ट श्रमिकों" की आवश्यकता पर बल दिया तथा सुझाव दिया कि नई शुल्क संरचना उस परिणाम की गारंटी देगी।
आर्थिक निहितार्थ
- व्हाइट हाउस के स्टाफ सचिव विल शार्फ ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, ग्रीन कार्ड कार्यक्रम के तहत ऐसे व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाता था, जो औसत अमेरिकी वेतन से कम कमाते थे तथा सरकारी सहायता का लाभ लेने की अधिक संभावना रखते थे।
- नये शुल्क से अमेरिकी राजकोष के लिए 100 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि एकत्रित होने की उम्मीद है, जिसका उपयोग करों में कटौती करने तथा राष्ट्रीय ऋण को कम करने के लिए किया जाएगा।
भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव
शुल्क वृद्धि का भारतीय प्रौद्योगिकी कर्मचारियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जो अमेरिका में रोजगार के लिए H1-B वीजा पर निर्भर हैं।
- H1-B वीजा शुरू में तीन वर्षों के लिए वैध होता है और इसे अगले तीन वर्षों के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है, जिसके लिए कम्पनियों को संभवतः कई बार शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है।
- कई भारतीय पेशेवर ग्रीन कार्ड के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि में फंस जाते हैं और यदि कंपनियां शुल्क का भुगतान नहीं करने का निर्णय लेती हैं तो बढ़ी हुई लागत उनके निरंतर प्रवास को प्रभावित कर सकती है।
नया वीज़ा मार्ग: 'गोल्ड कार्ड'
- राष्ट्रपति ट्रम्प ने असाधारण क्षमता वाले विदेशियों के लिए 'गोल्ड कार्ड' नामक एक नए वीज़ा मार्ग की भी घोषणा की।
- व्यक्ति या निगम शीघ्र वीज़ा प्रक्रिया और ग्रीन कार्ड के लिए क्रमशः 1 मिलियन डॉलर या 2 मिलियन डॉलर का भुगतान कर सकते हैं।
प्रतिक्रियाएँ और भविष्य का दृष्टिकोण
संभावित चुनौतियों के बावजूद, राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि तकनीकी कंपनियां इस बदलाव का समर्थन करती हैं, क्योंकि इससे उन्हें शीर्ष प्रतिभाओं को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
- वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने इस बात पर जोर दिया कि यह नीति कम्पनियों को अमेरिकियों को नौकरी पर रखने के लिए प्रोत्साहित करेगी तथा यह सुनिश्चित करेगी कि केवल सबसे मूल्यवान विदेशी श्रमिकों को ही रखा जाए।
- प्रशासन का मानना है कि इस दृष्टिकोण से उत्पादकता बढ़ेगी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान मिलेगा।