भारत की सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता
भारत की सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता 2025 तक 125 गीगावाट से अधिक होने का अनुमान है, जो लगभग 40 गीगावाट की घरेलू मांग से तीन गुना से भी अधिक है। वुड मैकेंज़ी की रिपोर्ट के अनुसार, इससे 29 गीगावाट का इन्वेंट्री सरप्लस पैदा होगा।
वृद्धि को प्रेरित करने वाले कारक
- क्षमता में वृद्धि मुख्य रूप से सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना से प्रेरित है।
- इस पहल से देश भर में कारखानों के तेजी से विस्तार को प्रोत्साहन मिला है।
चुनौतियाँ और चिंताएँ
- उद्योग को अधिक क्षमता के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
- 50% के नए पारस्परिक टैरिफ के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जिसके कारण 2025 की पहली छमाही में मॉड्यूल शिपमेंट में 52% की गिरावट आएगी।
- लागत प्रतिस्पर्धा एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि आयातित सेलों का उपयोग करके भारत में निर्मित मॉड्यूलों की लागत पूरी तरह से आयातित चीनी मॉड्यूलों की तुलना में कम से कम 0.03 डॉलर प्रति वाट अधिक है।
- सरकारी सहायता के बिना पूर्णतः 'भारत में निर्मित' मॉड्यूल की लागत चीनी मॉड्यूल की लागत से दोगुनी से भी अधिक हो सकती है।
सरकारी सुरक्षात्मक उपाय
- मॉडल और निर्माताओं की अनुमोदित सूची (ALMM) और चीनी मॉड्यूल पर प्रस्तावित 30% एंटी-डंपिंग शुल्क का उद्देश्य घरेलू उत्पादकों को समर्थन देना है।
भविष्य की संभावना और रणनीति
- भारत चीन की सौर आपूर्ति श्रृंखला का एक बड़े पैमाने पर विकल्प बनने की स्थिति में है, लेकिन सफलता इस पर निर्भर करती है:
- अनुसंधान एवं विकास निवेश में वृद्धि।
- अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी में निवेश करना।
- अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यूरोप जैसे निर्यात बाजारों में विविधता लाना।
अनुमान और उद्योग अंतर्दृष्टि
- केयरएज एडवाइजरी के अनुसार, भारत में PLI योजनाओं के समर्थन से वित्त वर्ष 2028 तक 216 गीगावाट सौर क्षमता तक पहुंचने की उम्मीद है।
- दक्षता लाभ से पता चलता है कि प्रत्येक 1 मेगावाट सौर ऊर्जा के लिए लगभग 1,700-2,200 पैनल (500Wp पर) आमतौर पर लगाए जाते हैं, जिससे परियोजना निष्पादन में पैमाने के लाभ को बल मिलता है।
- आने वाले वर्षों में भारत की सौर क्षमता और उत्पादन क्रमशः 215.8 गीगावाट और 305.0 बीयू तक पहुंचने का अनुमान है।
- निकट भविष्य की चुनौतियों के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में चीन के सौर आपूर्ति श्रृंखला प्रभुत्व का एक बड़े पैमाने पर विकल्प बनने की स्पष्ट क्षमता है। अब ध्यान क्षमता निर्माण से हटकर लागत-प्रतिस्पर्धा हासिल करने और नए निर्यात बाज़ार खोलने पर केंद्रित होना चाहिए।