संपत्ति लेनदेन और ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर सर्वोच्च न्यायालय
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अचल संपत्तियों की खरीद और बिक्री को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानूनी ढांचे में कई प्रणालीगत कमियों की पहचान की है, जो पारदर्शिता और दक्षता को प्रभावित करती हैं।
वर्तमान कानूनी ढांचा
- कानूनी ढांचा तीन प्राथमिक विधानों पर आधारित है:
- संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882
- भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899
- पंजीकरण अधिनियम, 1908
- पंजीकरण अधिनियम में दस्तावेजों के पंजीकरण का प्रावधान है, लेकिन स्वामित्व का नहीं।
- किसी दस्तावेज़ का पंजीकरण स्वामित्व की गारंटी प्रदान नहीं करता है, जिससे संभावित खरीदारों पर बोझ पड़ता है।
प्रस्तावित समाधान
- ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी को अपनाने का सुझाव यह सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है:
- अचल स्थिति
- पारदर्शिता
- पता लगाने की क्षमता
- ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी संपत्ति लेनदेन में धोखाधड़ी को कम कर सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने विधि आयोग से कहा है कि वह संघ, राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श करके इस मुद्दे की विस्तार से जांच करे।