मतदाता गोपनीयता पर सर्वोच्च न्यायालय की चिंताएँ
सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची को मशीन-पठनीय प्रारूप में उपलब्ध कराने से जुड़े संभावित गोपनीयता जोखिमों पर चिंता व्यक्त की, जिससे तीसरे पक्ष द्वारा डेटा माइनिंग का खतरा बढ़ सकता है। कोर्ट ने व्यक्तिगत मतदाताओं के लिए अपने डेटा को सुरक्षित रूप से देखने के लिए पासवर्ड-संरक्षित पहुँच जैसे समाधानों पर विचार किया।
उठाए गए प्रमुख मुद्दे
- गोपनीयता संबंधी चिंताएं: न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने व्यक्तिगत गोपनीयता और डेटा की सामूहिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला, तथा इस बात पर भी बल दिया कि मतदाता सूची डेटा एक मूल्यवान संपत्ति है जिसे चुनाव आयोग द्वारा ट्रस्ट में रखा जाता है।
- मशीन-पठनीय प्रारूप: अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि मतदाता सूची को मशीन-पठनीय रूप में उपलब्ध कराने से पूर्वाग्रह पैदा नहीं होना चाहिए, तथा उन्होंने कहा कि बड़े संसाधन सूची को परिवर्तित कर सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के सुझाव
- पासवर्ड एक्सेस: न्यायालय ने सुझाव दिया कि व्यक्तिगत मतदाताओं को चुनाव आयोग के एन्क्रिप्टेड डेटाबेस पर अपने डेटा को सत्यापित करने के लिए पासवर्ड एक्सेस की सुविधा दी जा सकती है, जिससे डेटा सत्यापन की सुविधा के साथ-साथ गोपनीयता संबंधी चिंताओं का भी समाधान हो सकेगा।
- डीडुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर: निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची में डुप्लिकेट प्रविष्टियों को समाप्त करने के लिए डीडुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का उपयोग करने की सलाह दी गई, जिसका न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने समर्थन किया।
कानूनी कार्यवाही और अदालती कार्रवाइयाँ
- SIR संबंधी चुनौतियां: न्यायालय पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ याचिकाओं की जांच कर रहा है, जिस पर 26 नवंबर को सुनवाई निर्धारित है।
- उच्च न्यायालय की कार्यवाही: सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालयों से अनुरोध किया कि वे अपने क्षेत्राधिकार में लंबित संबंधित मामलों पर रोक लगा दें, क्योंकि वह SIR प्रक्रिया की वैधता पर विचार कर रहा है।