अमेरिकी व्यापार तनाव के बीच निर्यातकों के लिए RBI के राहत उपाय
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ का सामना कर रहे भारतीय निर्यातकों की सहायता के लिए कई राहत उपायों की घोषणा की है। इन उपायों का उद्देश्य ऋण चुकौती के बोझ को कम करना और व्यापार संबंधी व्यवधानों को दूर करना है।
RBI द्वारा घोषित प्रमुख उपाय
- बढ़ी हुई क्रेडिट अवधि:
- प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट निर्यात ऋण के लिए अधिकतम क्रेडिट अवधि 270 दिनों से बढ़ाकर 450 दिन कर दी गई है, जो 31 मार्च, 2026 तक वितरित ऋण के लिए लागू है।
- पैकिंग क्रेडिट सुविधाओं का परिसमापन:
- यदि माल की डिलीवरी नहीं हुई है, तो निर्यातक 31 अगस्त, 2025 तक पैकिंग क्रेडिट सुविधाओं को समाप्त कर सकते हैं। यह घरेलू बिक्री या किसी अन्य निर्यात ऑर्डर सहित वैध वैकल्पिक स्रोतों के माध्यम से किया जा सकता है।
- ऋण चुकौती पर स्थगन:
- 1 सितंबर से 31 दिसंबर, 2025 के बीच देय ऋणों के लिए सावधि ऋणों और कार्यशील पूंजी ऋणों पर ब्याज के भुगतान पर रोक या स्थगन की अनुमति है।
- ऋणदाता उसी अवधि के दौरान मार्जिन को कम करके या पुनः मूल्यांकन करके "आहरण शक्ति" की पुनः गणना कर सकते हैं।
- निर्यात प्राप्ति हेतु विस्तार:
- निर्यात मूल्यों की वसूली और प्रत्यावर्तन की अवधि को निर्यात की तारीख से नौ महीने से बढ़ाकर पंद्रह महीने कर दिया गया है।
- बढ़ी हुई शिपमेंट अवधि:
- माल की शिपमेंट की अवधि अग्रिम भुगतान या समझौते की तारीख से एक वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष कर दी गई है।
संदर्भ और निहितार्थ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ कम करने की संभावना का ज़िक्र किया, जिससे भारत के साथ एक संभावित "निष्पक्ष व्यापार समझौते" का संकेत मिला। आरबीआई के उपायों और भारत सरकार की निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना के संयोजन से, तरलता में राहत मिल सकती है और निर्यातकों के नकदी प्रवाह में स्थिरता आ सकती है।