मनरेगा श्रमिकों के नाम हटाना और E-KYC कार्यान्वयन
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, 10 अक्टूबर से 14 नवंबर के बीच, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के डेटाबेस से लगभग 27 लाख मज़दूरों के नाम हटा दिए गए, जो इसी अवधि में जोड़े गए 10.5 लाख नामों से कहीं ज़्यादा है। नाम हटाने की यह वृद्धि इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर (E-KYC) प्रक्रिया की शुरुआत के साथ हुई है, जिसका उद्देश्य अयोग्य लाभार्थियों को छांटना है।
प्रमुख आँकड़े और अवलोकन
- पिछले छह महीनों में, कुल विलोपन लगभग 15 लाख थे, लेकिन केवल एक महीने में यह आंकड़ा बढ़कर 27 लाख हो गया।
- वित्तीय वर्ष 2025-26 के शुरुआती छह महीनों में, मनरेगा में 83.6 लाख श्रमिकों की शुद्ध वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें 15.2 लाख श्रमिकों के हटाए जाने के मुकाबले 98.8 लाख श्रमिक जुड़े।
- नवंबर के मध्य तक शुद्ध वृद्धि घटकर 66.5 लाख रह गई, जिससे एक ही महीने में 17 लाख कर्मचारी प्रभावी रूप से बाहर हो गए।
- हटाए गए लोगों में 6 लाख सक्रिय श्रमिक थे, जिन्हें पिछले तीन वर्षों में कम से कम एक दिन काम करने वाले के रूप में परिभाषित किया गया।
राज्य-विशिष्ट डेटा
- आंध्र प्रदेश: 15.92 लाख विलोपन, E-KYC पूर्णता दर 78.4%।
- तमिलनाडु: 30,529 विलोपन, 67.6% E-KYC पूर्णता दर।
- छत्तीसगढ़: 1.04 लाख विलोपन, 66.6% E-KYC पूर्णता दर।
आधिकारिक रुख और प्रक्रियाएं
- ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा है कि नाम हटाए जाने का कारण जॉब कार्ड सत्यापन का कार्य है, जिसके लिए राज्य सरकारें और ग्राम पंचायतें जिम्मेदार हैं।
- मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) के अनुसार, हटाए जाने वाले जॉब कार्डों को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध किया जाना चाहिए, अपील की अवधि दी जानी चाहिए तथा ग्राम सभा की मंजूरी लेनी होगी।
E-KYC और प्रौद्योगिकी चुनौतियाँ
- E-KYC प्रक्रिया में श्रमिकों की तस्वीरें लेना, आधार डेटा के आधार पर राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (NMMS) के माध्यम से उनका सत्यापन करना शामिल है।
- NMMS प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग की जानकारी मिलने के बाद ई-केवाईसी की शुरुआत की गई, जिसमें अप्रासंगिक फोटो अपलोड करने और कर्मचारी के बेमेल विवरण जैसी समस्याएं शामिल थीं।
- वर्ष 2023 से अनिवार्य आधार आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) में वित्तीय पते के रूप में श्रमिक के आधार नंबर का उपयोग किया जाता है, जिसके कारण कुछ वास्तविक श्रमिक इससे वंचित रह जाते हैं।
चिंताएँ और प्रभाव
- लिब टेक के वरिष्ठ शोधकर्ता चक्रधर बुद्ध ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एबीपीएस और E-KYC जैसी नई आधार-लिंक्ड प्रौद्योगिकियों के कारण अक्सर श्रमिकों के बहिष्करण में वृद्धि होती है।
- बड़े पैमाने पर बहिष्कार से बचने के लिए व्यापक कार्यान्वयन से पहले श्रमिकों पर ऐसी प्रौद्योगिकियों के प्रभाव का आकलन करने का आह्वान किया जा रहा है।