प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) अपडेट
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने खरीफ सीजन 2026 से जंगली जानवरों के हमलों और धान की बाढ़ के कारण फसल नुकसान कवरेज को PMFBY के तहत शामिल करने की घोषणा की है।
कवरेज में प्रमुख परिवर्तन
- जंगली जानवरों के हमले:
- स्थानीयकृत जोखिम श्रेणी के अंतर्गत पांचवें ऐड-ऑन कवर के रूप में मान्यता प्राप्त।
- राज्य जिम्मेदार जंगली जानवरों को सूचित करेंगे तथा ऐतिहासिक आंकड़ों का उपयोग करके संवेदनशील जिलों की पहचान करेंगे।
- किसानों को 72 घंटों के भीतर फसल बीमा ऐप के माध्यम से जियोटैग्ड फोटोग्राफ के साथ नुकसान की सूचना देनी होगी।
- धान की बाढ़:
- बाढ़-प्रवण और तटीय क्षेत्रों में किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए स्थानीय आपदा कवर के रूप में पुनः शुरू किया गया।
- नैतिक जोखिम और मूल्यांकन चुनौतियों पर चिंताओं के कारण इसे 2018 में प्रारंभ में हटा दिया गया था।
कार्यान्वयन
नई पद्धतियां PMFBY परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं, जो राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन के लिए वैज्ञानिक, पारदर्शी और व्यवहार्य ढांचा सुनिश्चित करती हैं।
तर्क और प्रभाव
- स्थानीय और गंभीर फसल क्षति के विरुद्ध बेहतर सुरक्षा के लिए राज्यों की दीर्घकालिक मांगों पर ध्यान दिया गया।
- इससे उन क्षेत्रों के किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है जहां मानव-वन्यजीव संघर्ष अधिक है और धान की फसल अक्सर जलमग्न हो जाती है, जिनमें कई पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्य भी शामिल हैं।
PMFBY की पृष्ठभूमि
खरीफ 2016 में शुरू की गई PMFBY का उद्देश्य बुवाई से पूर्व से लेकर कटाई के बाद के चरणों तक सभी गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक जोखिमों को कवर करते हुए किफायती फसल बीमा प्रदान करके कृषि को समर्थन देना है।
- स्थापना के बाद से, इसने 36 करोड़ से अधिक किसान आवेदनों का निपटान किया है और 1.82 लाख करोड़ रुपये के दावों का वितरण किया है।
विशिष्ट क्षेत्रीय प्रभाव
- महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में नीलगाय, जंगली सूअर और बंदरों जैसे जंगली जानवरों के कारण फसलों को नुकसान पहुंचने की खबर है।
- जंगली जानवरों के हमलों और धान की बाढ़ को शामिल करना इन विशिष्ट क्षेत्रीय चुनौतियों का जवाब है।