CCTV लगाने पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने CBI, ED और NIA जैसी एजेंसियों के कार्यालयों में CCTV कैमरे लगाने के अपने निर्देश का केंद्र और विभिन्न राज्यों द्वारा पालन न किए जाने पर चिंता व्यक्त की है। इस उपाय का उद्देश्य हिरासत में यातना को रोकना है।
पृष्ठभूमि और न्यायालय की प्रतिक्रिया
- 2020 में, सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने पुलिस स्टेशनों और पूछताछ की शक्तियों वाली केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कार्यालयों में CCTV कैमरे लगाने का आदेश दिया।
- इस निर्देश का उद्देश्य हिरासत में यातना के विरुद्ध निवारक के रूप में कार्य करके गरिमा और जीवन के मौलिक अधिकार की रक्षा करना था।
- अदालत राजस्थान में आठ महीनों में हिरासत में हुई 11 मौतों के बारे में जानकर चिंतित थी, जो लगातार हिरासत में होने वाली क्रूरता का संकेत देती है।
वर्तमान अनुपालन स्थिति
- केवल 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की है, जबकि केंद्र ने एक भी रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की इस बात के लिए आलोचना की कि वह न्यायालय के निर्देश को हल्के में ले रही है।
सरकार की प्रतिक्रिया
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात से इनकार किया कि केंद्र अदालत को हल्के में ले रहा है और उन्होंने हलफनामा दायर करने का वादा किया, हालांकि न्यायमूर्ति मेहता ने हलफनामे के बजाय अनुपालन की आवश्यकता पर जोर दिया।
- सॉलिसिटर जनरल ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए तर्क दिया कि पुलिस स्टेशनों के बाहर CCTV लगाना प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
भविष्य की कार्रवाई और अनुपालन
- अदालत ने तीनों केंद्रीय एजेंसियों के निदेशकों और शेष राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान गृह सचिवों को आदेश दिया है कि यदि 19 दिसंबर को अगली सुनवाई से पहले अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की जाती है तो वे व्यक्तिगत रूप से जवाब दें।
- न्यायमूर्ति नरीमन के फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि उन सभी कार्यालयों में CCTV लगाए जाने चाहिए जहां आरोपियों से पूछताछ और हिरासत में लिया जाता है।