भारत-रूस संबंध: मुख्य बिंदु
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना
भारतीय प्रधानमंत्री ने पिछले 25 वर्षों में भारत-रूस संबंधों को आगे बढ़ाने में रूसी राष्ट्रपति की भूमिका की सराहना की। यह सहयोग ऊर्जा और व्यापार तक फैला है, जिसका दूरदर्शी एजेंडा 2030 तक पहुँच रहा है।
ऐतिहासिक संदर्भ
- भारत-रूस संबंधों की तुलना एक "मार्गदर्शक तारे" या ध्रुव तारे से की जाती है, जो वैश्विक चुनौतियों के बावजूद दशकों से इसकी स्थिरता और महत्व का प्रतीक है।
- विदेश सचिव ने इस द्विपक्षीय संबंध की "स्थायित्व और निश्चितता" पर जोर दिया।
वैश्विक ध्यान और चुनौतियाँ
- रूसी राष्ट्रपति की यह यात्रा इसलिए उल्लेखनीय है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूसी ऊर्जा खरीद के लिए भारत पर टैरिफ लगा दिया है, जिसे यूक्रेन संघर्ष में एक लाभ के रूप में देखा जा रहा है।
- भारत ने यूक्रेन संघर्ष में शांति की लगातार वकालत की है, प्रधानमंत्री ने शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों के लिए समर्थन दोहराया है।
ऊर्जा और व्यापार साझेदारी
- ऊर्जा सुरक्षा साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, तथा असैन्य परमाणु ऊर्जा में भी सहयोग जारी है, जिसका उदाहरण कुडनकुलम विद्युत संयंत्र है।
- चेन्नई-व्लादिवोस्तोक परिवहन गलियारा एक प्रमुख संयुक्त परियोजना है।
- भारत-रूस व्यापार 2024-25 में 64 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसका लक्ष्य 2030 तक 100 बिलियन डॉलर है। यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा चल रही है।
आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग
- 2030 तक एक रणनीतिक सहयोग कार्यक्रम की योजना बनाई गई है, जिसमें आर्थिक सहयोग और लोगों के बीच संपर्क पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत पारस्परिक आधार पर रूसी नागरिकों को 30-दिवसीय ई-पर्यटक वीजा और समूह पर्यटक वीजा प्रदान करेगा।
- सोलह समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गये, जिनमें अर्ध-कुशल श्रमिक गतिशीलता, उर्वरक, मीडिया और शैक्षणिक सहयोग जैसे क्षेत्र शामिल थे।
मीडिया सहयोग
रूसी राष्ट्रपति ने रूस टुडे के भारतीय संस्करण के शुभारंभ में भाग लिया, जो दोनों देशों के बीच मीडिया सहयोग के विस्तार का प्रतीक है।