एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं पर फिच रेटिंग विश्लेषण
अमेरिकी टैरिफ और चीनी आर्थिक मंदी के प्रति लचीलापन
फिच रेटिंग्स के अनुसार, अधिकांश एशिया-प्रशांत (APAC) देश अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि और चीन की आर्थिक मंदी के प्रति लचीलापन बनाए रखने में सक्षम होंगे।
- अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव: हालिया अमेरिका-चीन व्यापार सौदों के बावजूद, अमेरिकी टैरिफ से उत्पन्न अनिश्चितता कम हो रही है, लेकिन व्यापार और भू-राजनीतिक तनावों में संभावित रूप से पुनः वृद्धि का जोखिम बना हुआ है।
- भारत की स्थिति: वाशिंगटन के साथ व्यापार समझौते के अभाव के कारण भारत पर 50% अतिरिक्त अमेरिकी टैरिफ लगाया गया है।
आर्थिक शमन कारक
- डॉलर की कमजोरी: डॉलर की लगातार कमज़ोरी और कम मुद्रास्फीति के बीच केंद्रीय बैंकों की नीतिगत दरों में कटौती करने की क्षमता गैर-तकनीकी निर्यात की कमज़ोरी के प्रभावों को कम करने में मदद करेगी।
- बाह्य खाते: निवेश-ग्रेड रेटिंग वाले देशों के बाह्य खाते मजबूत होते हैं तथा विदेशी मुद्रा की तरलता भी अच्छी होती है।
राजकोषीय अनुशासन और समेकन
फिच रेटिंग्स का सुझाव है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में राजकोषीय समेकन कमजोर है, तथा घरेलू पूंजी बाजार राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण में सहायता कर रहे हैं।
- भविष्य का दृष्टिकोण: 2026 तक राजकोषीय समेकन की प्रगति धीमी रहने की उम्मीद है, जिसमें 70% से अधिक देश 2019 की तुलना में उच्च राजकोषीय घाटा बनाए रखेंगे।
- ब्याज व्यय: एशिया-प्रशांत क्षेत्र के केवल एक-तिहाई देशों में ही 2026 तक राजस्व अनुपात में ब्याज व्यय में कमी आने की उम्मीद है।