भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) का निर्णय
भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर उन्हें 5.25% करने का फैसला किया है। यह फैसला भारत की वर्तमान आर्थिक स्थिति और भविष्य की उम्मीदों का आकलन दर्शाता है।
ब्याज दर में कटौती
- वर्ष 2025 में अब तक कुल 125 बेसिस पॉइंट की दर कटौती की गई है।
- इसी तरह की बड़ी कटौती पिछली बार 2019 में 135 आधार अंकों की कटौती के साथ देखी गई थी।
आर्थिक विकास
- भारत की GDP विकास दर पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के 5.6% से बढ़कर इस वर्ष दूसरी तिमाही में 8.2% पर पहुँच गई है।
- इसके बावजूद MPC मजबूत विकास आँकड़ों को लेकर पूर्णतः आश्वस्त नहीं दिखती, इसलिए सहायक मौद्रिक नीति रुख बनाए रखा गया है।
- भारतीय कॉरपोरेट में पर्याप्त क्षमता की उपलब्धता होने से आर्थिक अधिक-तापन (Overheating) का जोखिम अपेक्षाकृत कम है।
वास्तविक विकास और निवेश
- कम अपस्फीतिकारक के कारण वास्तविक वृद्धि अधिक प्रतीत होती है।
- कंपनियों के पास अधिक निवेश करने की क्षमता है, और उधार आधारित निवेश (Debt-led Investment) की भी संभावना प्रबल है।
अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
- अमेरिकी टैरिफ का संपूर्ण प्रभाव अभी भारतीय अर्थव्यवस्था पर परिलक्षित नहीं हुआ है।
- सस्ता ऋण विशेष रूप से MSMEs और निर्यातक इकाइयों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण
- MPC ने वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2% कर दिया है।
- खाद्यान्न या तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि मुद्रास्फीति की गणना को प्रभावित कर सकती है।
- यदि मुद्रास्फीति अप्रत्याशित रूप से बढ़ती है तो MPC ब्याज दर पुनः बढ़ाने के लिए तैयार है।
ऐतिहासिक संदर्भ और भविष्य की तैयारी
- 2019 में, ब्याज दरों में कटौती के बाद, मुद्रास्फीति लगभग एक वर्ष में 2% से बढ़कर 7.6% हो गई।
- MPC ने विकास और मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाली वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति शीघ्रता से अनुकूलन करने के लिए तटस्थ रुख बनाए रखा है।