रूस और भारत के बीच रसद के पारस्परिक आदान-प्रदान का समझौता (RELOS)
रसद के पारस्परिक आदान-प्रदान का समझौता (RELOS) रूस और भारत के बीच सैन्य सहयोग के लिए एक रणनीतिक ढांचा प्रदान करता है। समझौते के प्रमुख तत्व इस प्रकार हैं:
- समझौते का दायरा: यह समझौता रूस और भारत के क्षेत्रों के बीच सैन्य संरचनाओं, युद्धपोतों और विमानों की तैनाती सहित सैन्य रसद के पारस्परिक आदान-प्रदान की प्रक्रियाओं का विवरण देता है।
- महत्व: RELOS दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को मजबूत करने, अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने और संयुक्त सैन्य अभ्यास और अभियानों को सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- कानूनी पुष्टि: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने समझौते की पुष्टि करने वाले कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जो इसकी औपचारिक स्वीकृति और कार्यान्वयन को दर्शाता है। इस पुष्टि का आधिकारिक दस्तावेज रूस की कानूनी अधिनियमों की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
यह समझौता दोनों देशों के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है और विभिन्न सैन्य संदर्भों में रसद संबंधी सहयोग और परिचालन तत्परता को बढ़ाता है।