भारत में सड़क सुरक्षा संकट
- शिवगंगा जिले में तमिलनाडु सरकार की दो बसों के बीच हाल ही में हुई आमने-सामने की टक्कर में 11 लोगों की मृत्यु हो गई और दर्जनों घायल हो गए।
- यह घटना भारत में सड़क सुरक्षा की गंभीर समस्याओं को उजागर करती है, जहाँ विश्व स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं में सर्वाधिक मृत्यु दर्ज की जाती है; अकेले 2023 में 1.7 लाख से अधिक मौतें हुईं।
सड़क दुर्घटनाओं में योगदान देने वाले कारक
- मानवीय भूल: लगभग 70% सड़क दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं, जिनमें अत्यधिक गति (speeding), गलत दिशा में वाहन चलाना और अनुचित लेन अनुशासन शामिल हैं।
- बुनियादी ढांचे की कमियां: दोषपूर्ण सड़क डिजाइन, अपर्याप्त संकेत और बुनियादी ढांचे की खामियां भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
वर्तमान लाइसेंसिंग प्रणाली में समस्याएं
क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO), जिन्हें प्राथमिक सुरक्षा फिल्टर माना जाता था, निम्नलिखित कारणों से विफल हो रहे हैं:
- भ्रष्टाचार: आरटीओ बिना किसी कठोर जांच के लाइसेंस जारी करते हैं, जिसमें अक्सर एजेंटों और बिचौलियों की मिलीभगत होती है।
- अपर्याप्त परीक्षण: स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक न्यूनतम कौशल का परीक्षण करते हैं, जबकि 'खतरे की पहचान' और रात में ड्राइविंग जैसे महत्वपूर्ण पहलू छूट जाते हैं।
- अपर्याप्त संसाधन: 1,100 से अधिक आरटीओ के लिए केवल 3,000-4,000 निरीक्षक हैं और प्रतिवर्ष लाखों लाइसेंस जारी किए जाते हैं, जिससे वास्तविक जांच असंभव हो जाती है।
प्रस्तावित सुधार
आरटीओ में सुधार पासपोर्ट सेवा परियोजना के सफल मॉडल का अनुसरण कर सकता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): आधुनिक प्रशिक्षण और परीक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए मान्यता प्राप्त निजी भागीदारों को शामिल करना।
- उन्नत प्रशिक्षण सुविधाएं: आवश्यक ड्राइविंग कौशल के परीक्षण के लिए सिमुलेटर, वीआर (VR) मॉड्यूल और एआई (AI) मूल्यांकन का उपयोग।
- आरटीओ की भूमिका: लाइसेंस जारी करने के अंतिम अधिकार के साथ निरीक्षण और प्रवर्तन पर ध्यान केंद्रित करना।
सुधार के लाभ
- सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में कमी: एक सुरक्षित लाइसेंसिंग प्रणाली से कई जानें बचाई जा सकती हैं और आर्थिक नुकसान को कम किया जा सकता है।
- आर्थिक और जीवन की गुणवत्ता में सुधार: सुरक्षित सड़कें रसद दक्षता को बढ़ा सकती हैं, निवेश आकर्षित कर सकती हैं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती हैं।
निष्कर्ष
सिंगापुर के 'सेफ्टी ड्राइविंग सेंटर' जैसे सफल मॉडलों से सीख लेते हुए, भारत आरटीओ को सशक्त और आधुनिक बना सकता है। इससे कुशल रोजगार सृजित होंगे और एक ऐसी प्रणाली विकसित होगी जो क्षमता और आपदा के बीच अंतर स्पष्ट करेगी, जो 2047 तक 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप है।