सबको बीमा सबको रक्षा (बीमा विधि संशोधन) विधेयक, 2025
लोकसभा ने 'सबको बीमा सबको रक्षा (बीमा विधि संशोधन) विधेयक, 2025' पारित किया, जो प्रमुख अधिनियमों में संशोधनों के माध्यम से भारत के बीमा ढांचे में सुधार पर केंद्रित है।
प्रमुख संशोधन और प्रावधान
- FDI में वृद्धि: निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% कर दिया गया है।
- शुद्ध स्वामित्व वाली निधि: विदेशी पुनर्बीमाकर्ताओं के लिए आवश्यक निधि को 5,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
- नियामक शक्तियाँ: IRDAI की शक्तियों में वृद्धि की गई है, जिसमें बीमाकर्ताओं या मध्यस्थों द्वारा किए गए ‘अनुचित लाभ’ पर कार्रवाई करने का अधिकार शामिल है।
- LIC की परिचालन स्वतंत्रता: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) अब सरकारी अनुमोदन के बिना नए क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित कर सकता है, जिससे विस्तार और दक्षता में लाभ होगा।
सरकार का दृष्टिकोण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उपभोक्ताओं के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा के लाभों पर बल दिया और भारत की प्रगति को दर्शाने वाले ऐतिहासिक संशोधनों का उल्लेख किया:
- 1940 का दशक: एजेंटों के कमीशन में कटौती।
- 1999: 26% FDI सीमा के साथ विदेशी कंपनियों का प्रवेश।
- बीमाकर्ताओं की संख्या 53 से बढ़कर 74 हो गई; बीमा मध्यस्थों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अब 100% है।
- बीमा कवरेज: 2014-15 में 3.3% से बढ़कर वर्तमान में 3.75-8% हो गया है। बीमा घनत्व अब 97 अमेरिकी डॉलर है, जो पहले 55 अमेरिकी डॉलर था।
विपक्ष की चिंताएँ
- माणिकम टैगोर (कांग्रेस): सामाजिक जोखिमों को वहन करने में राज्य की भागीदारी घटने की आलोचना की।
- उत्कर्ष वर्मा (सपा): भारतीय भागीदारों के बिना बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रभुत्व के विरुद्ध चेतावनी दी।
- शताब्दी रॉय (TMC): उल्लेख किया कि भारत में बीमा पैठ 7% के वैश्विक औसत से कम है।
- डी.एम. कथिर आनंद (DMK): तर्क दिया कि यह विधेयक LIC को कमजोर कर सकता है और विदेशी कंपनियों के पास नागरिकों की बचत को जोखिम में डाल सकता है।