भारत में बीमा क्षेत्र में सुधार
16 दिसंबर, 2025 को लोकसभा ने बीमा कानूनों में संशोधन करने वाला एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया, जिसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाने और अन्य प्रमुख बदलावों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
प्रस्तावित प्रमुख संशोधन
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि: विधेयक बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव करता है। इसका उद्देश्य अधिक पूंजी आकर्षित करना, प्रौद्योगिकी में सुधार करना और बीमा उत्पादों को बेहतर बनाना है।
- कानूनों में संशोधन: बीमा अधिनियम, 1938; जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956; और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) अधिनियम, 1999 में बदलाव प्रस्तावित हैं। सभी भारतीय कानून विदेशी संस्थाओं पर भी समान रूप से लागू होंगे।
- शुद्ध स्वामित्व वाली निधि की आवश्यकता: विदेशी पुनर्बीमा शाखाओं के लिए आवश्यक शुद्ध स्वामित्व वाली निधि को ₹5,000 करोड़ से घटाकर ₹1,000 करोड़ कर दिया गया है ताकि अधिक पुनर्बीमाकर्ताओं को भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
सरकारी पहल और प्रभाव
- सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना: सार्वजनिक क्षेत्र की तीन सामान्य बीमा कंपनियों के पूंजी आधार को मजबूत करने के लिए उनमें ₹17,450 करोड़ का निवेश किया गया।
- विकास के आंकड़े: बीमाकर्ताओं की संख्या 2014-15 में 53 से बढ़कर 2024-25 में 74 हो गई। बीमा प्रीमियम ₹4.15 लाख करोड़ से बढ़कर ₹11.93 लाख करोड़ हो गया, और प्रबंधन के तहत संपत्ति (AUM) ₹24.20 लाख करोड़ से बढ़कर ₹74.43 लाख करोड़ हो गई।
सशक्तिकरण और दंड
- LIC की स्वायत्तता: विधेयक भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को क्षेत्रीय कार्यालय खोलने और विदेशी नियामक अनुपालन के साथ तालमेल बिठाने की स्वायत्तता प्रदान करता है।
- IRDAI का सशक्तीकरण: बीमा नियामक अब बीमाकर्ताओं और मध्यस्थों द्वारा किए गए 'अनुचित लाभ' को जब्त कर सकता है। मध्यस्थों द्वारा गैर-अनुपालन के लिए दंड ₹1 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ कर दिया गया है।
उद्योग परिप्रेक्ष्य
- वैश्विक भागीदारी के लाभ: इस विधेयक से दीर्घकालिक निवेश, वैश्विक विशेषज्ञता और बेहतर ग्राहक अनुभव मिलने की उम्मीद है, जिससे बीमा कवरेज का विस्तार होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।