प्रवासन और इसके राजनीतिक निहितार्थ
प्रवासन और नागरिकता का परिचय
नागरिकता की अवधारणा परंपरागत रूप से किसी निवासी के एक विशिष्ट क्षेत्र के भीतर स्थान से जुड़ी होती है। सीमाओं के पार प्रवासन (अंतर्राष्ट्रीय और आंतरिक दोनों) इस संबंध को बाधित करता है, जिससे नागरिकता और निवास के बीच एक "वैचारिक विचलन" उत्पन्न होता है।
भारत और अमेरिका में प्रवासन पर प्रतिक्रिया
- भारत:
- भारत निर्वाचन आयोग (ECI) प्रवास के कारण कई स्थानों पर पंजीकरण कराने वाले व्यक्तियों की समस्या के समाधान हेतु मतदाता सूची का 'विशेष गहन पुनरीक्षण' (SIR) कर रहा है।
- इस पहल का उद्देश्य बढ़ते शहरीकरण और प्रवास के कारण मतदाता सूची में होने वाली प्रविष्टियों की पुनरावृत्ति को रोकना है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका:
- अमेरिकी न्याय विभाग ने चुनाव कानूनों को लागू करने के लिए राज्य के मतदाता पंजीकरण डेटाबेस तक पहुंच की मांग की और अमेरिकी नागरिकता के दस्तावेजी प्रमाण की आवश्यकता जताई।
- चुनाव की निष्पक्षता को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाए गए इन उपायों ने विरोध को जन्म दिया और मतदाताओं की पहुंच के बारे में चिंताएं पैदा कीं।
वैश्विक प्रवासन रुझान
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या 1990 के लगभग 15.4 करोड़ से लगभग दोगुनी होकर 2024 तक 30 करोड़ से अधिक हो गई है।
- बढ़ती प्रवास दर को पश्चिमी देशों में 'नैटिविस्ट लोकलुभावनवाद' (Nativist Populism/देशज लोकलुभावनवाद) के उदय से जोड़ा गया है।
- अमेरिका की लगभग 14%-15% जनसंख्या विदेश में जन्मी है, जबकि कनाडा (22%) और ऑस्ट्रेलिया (31%-32%) में यह अनुपात अधिक है।
प्रवासन नीतियां और राजनीतिक परिवर्तन
- भारत की नीतियां:
- भारत का लक्ष्य विदेशों में रोजगार को प्रोत्साहित करके "मानव संसाधनों का निर्यात" करना है।
- नीतियां भारत के भीतर प्रवास को प्रोत्साहित करती हैं, जैसे एकीकरण और विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर में अधिवास नियमों में ढील देना।
- लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) अधिनियम, 2010 विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों को अपने गृह निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने की अनुमति देता है, हालांकि दूरस्थ मतदान के अधिकारों की मांग भी उठ रही है।
- घरेलू राजनीति पर प्रभाव:
- निवास संबंधी कानून शिक्षा और रोजगार तक पहुंच को प्रभावित करते हैं, और आंतरिक प्रवासन के राजनीतिक निहितार्थ होते हैं, जिसमें मतदाताओं की जनसांख्यिकी में बदलाव भी शामिल है।
- उदाहरण के लिए, मुंबई का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है क्योंकि अब मराठी भाषी लोग जनसंख्या के 40% से भी कम हैं।
व्यापक सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव
- प्रवासन सांस्कृतिक प्रथाओं और भाषाओं को प्रभावित करता है, जैसा कि वैदिक प्रथाओं के प्रसार और समय के साथ भाषा के विकास में देखा जा सकता है।
- परंपरागत रूप से, महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुषों का प्रवास रहा है, जिसने सांस्कृतिक गतिशीलता और भाषाई विकास को प्रभावित किया है।
नागरिकता की बदलती धारणाएँ
- प्रवासन जन्मजात नागरिकता के पारंपरिक विचारों को चुनौती देता है, जैसा कि अमेरिका में 14वें संशोधन की पुनर्व्याख्या के प्रयासों में देखा गया है।
- भारत ने अवैध अप्रवासियों के बच्चों को जन्म से नागरिकता प्राप्त करने से रोकने के लिए अपने नागरिकता कानूनों में संशोधन किया है।
निष्कर्ष
लोगों के पलायन की घटना भारत और विश्व स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को नया आकार दे रही है, और चल रहे परिवर्तनों के आगामी जनगणना और चुनावी प्रक्रियाओं में परिलक्षित होने की उम्मीद है।