कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और पर्यावरण उत्तरदायित्व पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय
19 दिसंबर, 2025 को उच्चतम न्यायालय ने CSR की व्याख्या करते हुए इसमें पर्यावरणीय जिम्मेदारी को अंतर्निहित माना। न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि एक 'विधिक व्यक्ति' (legal person) के रूप में निगम का पर्यावरण की रक्षा करना एक मौलिक कर्तव्य है।
CSR में पर्यावरणीय जिम्मेदारी का समावेश
- कॉर्पोरेट कर्तव्य का विस्तार शेयरधारकों की सुरक्षा से आगे बढ़कर पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा तक है।
- 'सामाजिक उत्तरदायित्व' की परिभाषा में 'पर्यावरणीय उत्तरदायित्व' को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए।
अनुच्छेद 51A(g) के तहत मौलिक कर्तव्य
- न्यायालय ने कंपनियों को संविधान के अनुच्छेद 51A(g) से जोड़ा, जो नागरिकों पर प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार का कर्तव्य आरोपित करता है।
- पर्यावरण संरक्षण के लिए उपयोग किए जाने वाले कॉर्पोरेट CSR फंड कोई दान नहीं, बल्कि एक संवैधानिक दायित्व हैं।
लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण
- लुप्तप्राय प्रजातियों के आवासों को खतरे में डालने वाली कॉर्पोरेट गतिविधियों को 'प्रदूषक भुगतान' सिद्धांत का पालन करना चाहिए।
- CSR फंड को 'एक्स-सिटू' (ex-situ - बाह्य-स्थाने) और 'इन-सिटू' (in-situ - स्व-स्थाने) दोनों संरक्षण प्रयासों का समर्थन करना चाहिए।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के लिए संशोधित प्राथमिकता वाले क्षेत्र
- न्यायालय ने राजस्थान में 14,013 वर्ग किमी और गुजरात में 740 वर्ग किमी के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को संशोधित करने की विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को बरकरार रखा।
- इन क्षेत्रों के भीतर GIB के लिए इन-सिटू और एक्स-सिटू संरक्षण उपायों को तत्काल लागू करने का निर्देश दिया।
- GIB पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का दीर्घकालिक अध्ययन करने का आदेश।
- राजस्थान में 'डेजर्ट नेशनल पार्क' से 5 किमी या उससे अधिक की दूरी पर 5 किमी चौड़ाई तक के बिजली कॉरिडोर को स्वीकार किया।