संसद के शीतकालीन सत्र का संक्षिप्त विवरण
शीतकालीन सत्र में 15 बैठकें हुईं, जिनमें वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में महत्वपूर्ण विधायी गतिविधियां और राजनीतिक पहल शामिल थीं। इसमें 10 विधेयकों को पेश किया गया और दोनों सदनों द्वारा आठ विधेयकों को पारित किया गया।
प्रमुख विधायी घटनाक्रम
- महत्वपूर्ण विधेयकों का परिचय और पारित होना:
- अप्रचलित कानूनों को निरस्त करना या उनमें संशोधन करना।
- बीमा क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देना।
- आपूर्तिकर्ताओं की जवाबदेही कम करके परमाणु ऊर्जा में निजी क्षेत्र के निवेश को सुगम बनाना।
- ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में बड़े बदलाव किए गए हैं, जो मूल रूप से 2005 से UPA सरकार का एक कल्याणकारी कार्यक्रम था।
- हिंदी भाषी क्षेत्रों के सदस्यों द्वारा असंवैधानिक माने जाने वाले विधेयकों के हिंदी शीर्षकों पर चिंता व्यक्त की गई। उदाहरण के लिए:
- बीमा विधेयक: सबका बीमा सबकी रक्षा ।
- ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक: विकसित भारत - रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) या VB-G RAM G के लिए गारंटी।
वंदे मातरम पर चर्चा
लोकसभा में वंदे मातरम पर संसदीय चर्चा 11 घंटे से अधिक और राज्यसभा में लगभग 13 घंटे तक चली, जिसमें अनेक प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह सुझाव दिया गया कि पक्षपातपूर्ण बहसों के बिना सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव के माध्यम से इस गीत को अधिक प्रभावी ढंग से मनाया जा सकता था।
चुनावी सुधारों पर बहस
लोक सभा में चुनावी सुधारों पर करीब 13 घंटे और राज्य सभा में लगभग 11 घंटे तक तीखी बहस चली। प्रमुख दलों की संकीर्ण मानसिकता ने चुनाव की निष्पक्षता पर सार्थक चर्चा में बाधा डाली, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अन्य मुद्दे और परिणाम
- दिल्ली में वायु प्रदूषण के संकट पर चर्चा करने के विपक्ष के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया।
- संसदीय समितियों की सीमित भागीदारी के साथ विधेयकों को शीघ्रता से पारित कर दिया गया।
- कम कटुतापूर्ण सत्र के बावजूद, प्रश्नकाल और शून्यकाल काफी उपयोगी रहे।
निष्कर्ष और राजनीतिक संकेत
लोक सभा अध्यक्ष और राज्य सभा अध्यक्ष की सुविधा से सरकार और विपक्ष के बीच हुई बैठकों के साथ सत्र का समापन अपेक्षाकृत सकारात्मक रहा। ये बातचीत सौहार्दपूर्ण रही और भविष्य में संसदीय सहयोग में सुधार की संभावना दर्शाती है।