खान मंत्रालय ने अपतटीय क्षेत्रों में खनिज ब्लॉक्स की नीलामी की पहली किस्त शुरू की | Current Affairs | Vision IAS
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यह भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर देश के व्यापक अपतटीय खनिज संसाधनों की खोज में एक बड़ा कदम है।

अपतटीय खनन नीलामी का मुख्य विवरण 

  • खनिज ब्लॉक्स: नीलामी में अरब सागर और अंडमान सागर में मौजूद 13 खनिज ब्लॉक्स शामिल हैं।
  • खनिजों के प्रकार और संबंधित क्षेत्रक: निर्माण क्षेत्रक में प्रयुक्त होने वाली रेत (केरल व अरब सागर के तटों के निकट); चूना-मिट्टी (गुजरात व अरब सागर के तटों के निकट); पालीमैटेलिक नोड्यूल्स और क्रस्ट्स (ग्रेट निकोबार द्वीप समूह एवं अंडमान सागर के तट के निकट) आदि शामिल है।

अपतटीय खनन या गहरे समुद्र में खनन

  • इसमें गहरे समुद्र नितल से 200 मीटर से अधिक की गहराई पर खनिज भंडार का खनन किया जाता है।
    • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GIS) ने अपतटीय खनन की क्षमता वाले लगभग छह लाख वर्ग किलोमीटर अपतटीय क्षेत्र की पहचान की है।

भारत के लिए अपतटीय खनन का महत्त्व

  • भारत के अपतटीय खनिज भंडारों में सोना, हीरा, तांबा, निकल, कोबाल्ट, मैंगनीज और दुर्लभ भू-तत्व शामिल हैं, जो किसी देश के विकास के लिए आवश्यक हैं।
  • अपतटीय खनन से खनिजों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिसके परिणामस्वरूप कई महत्वपूर्ण खनिजों में देश आत्मनिर्भर बनेगा। इसके अलावा, इससे भारत की नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी।
  • ये खनिज अवसंरचना के विकास, उच्च तकनीकी विनिर्माण और ग्रीन एनर्जी ट्रांजीशन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

अपतटीय खनन में चुनौतियां

  • निजी भागीदारी का अभाव;
  • अत्यधिक कुशल श्रम और पूंजी की आवश्यकता; तथा
  • पर्यावरणीय चुनौतियां, जैसे- पर्यावास का विनाश, समुद्री पारिस्थितिकी-तंत्र में व्यवधान आदि।

अपतटीय खनन के लिए उठाए गए कदम

  • नेशनल जियोलॉजिकल डेटा रिपॉजिटरी (NGDR) पोर्टल: यह एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो GIS के माध्यम से भूवैज्ञानिक अन्वेषण डेटा प्रदान करता है।
  • डीप ओशन मिशन: इस मिशन का उद्देश्य पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स का पता लगाना और उनका निष्कर्षण करना है।
  • अपतटीय क्षेत्र (खनिज संसाधनों का अस्तित्व) नियम, 2024: इनके तहत अन्वेषण के चरणों तथा खनिज संसाधनों एवं भंडार के वर्गीकरण को परिभाषित किया गया है।
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