विश्व निवेश रिपोर्ट 2025: विकासशील देशों में निवेश की कमी 2030 के लक्ष्यों को खतरे में डाल रही है | Current Affairs | Vision IAS
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यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (पूर्ववर्ती UNCTAD) ने जारी की है। इस रिपोर्ट में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि वैश्विक स्तर पर मौजूद अनिश्चितता निवेश को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है। यह विकासशील देशों के लिए 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करना मुश्किल बना सकता है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में गिरावट: 2024 में वैश्विक FDI 11% घटकर 1.5 ट्रिलियन डॉलर रह गया था। शीर्ष 20 प्राप्तकर्ता विकासशील देशों में से अधिकांश में FDI का प्रवाह घटा है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे बड़ा FDI प्राप्तकर्ता बना रहा, जबकि भारत 16वें स्थान पर रहा।
  • FDI वृद्धि असमान रही: उदाहरण के लिए- अफ्रीका में FDI में 75% की बढ़ोतरी हुई, जो मुख्य रूप से मिस्र में एक बड़े प्रोजेक्ट के कारण थी, जबकि लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों में कुल FDI प्रवाह में 12% की गिरावट दर्ज की गई।
  • रोजगार सृजन करने वाले उद्योगों में निवेश में ठहराव: बहुत सी अर्थव्यवस्थाओं में पूंजी उन क्षेत्रों में स्थिर हो रही है या उन क्षेत्रों को पूरी तरह से दरकिनार किया जा रहा है जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं, जैसे - बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने वाले उद्योग।
  • SDGs से जुड़े महत्वपूर्ण क्षेत्रकों में निवेश में भारी गिरावट: SDGs को हासिल करने के लिए जरूरी क्षेत्रकों में निवेश में तेज गिरावट देखी गई है — जैसे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रक में 31% की गिरावट और जल व स्वच्छता क्षेत्रक में 30% की गिरावट।
    • विकासशील देशों में SDGs को हासिल करने के लिए हर साल लगभग 4 से 5 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत है।
  • कारण: भू-राजनीतिक तनाव, देशों के बीच ट्रेड वार, औद्योगिक नीतियों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, और वित्तीय जोखिम व अनिश्चितता के कारण लंबे समय के लिए निवेशकों का भरोसा कमज़ोर हो रहा है।
  • सिफारिशें:
    • बहुपक्षीय विकास बैंकों की भूमिका को और मजबूत करना चाहिए।
    • निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए गारंटी, हाइब्रिड पूंजी और जोखिम कम करने वाले उपकरणों के उपयोग को बढ़ाना चाहिए।
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