यह कार्यक्रम वियना कार्रवाई कार्यक्रम (2014-2024) और अल्माटी कार्रवाई कार्यक्रम (2003) पर आधारित है। इन दोनों कार्यक्रमों ने स्थलरुद्ध विकासशील देशों (LLDCs) के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए एक आधार के रूप में काम किया है।
- ‘2024-2034 दशक के लिए कार्रवाई कार्यक्रम’ ने 5 प्राथमिकताओं की पहचान की है (इन्फोग्राफिक देखें) और इनके अंतर्गत अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
‘2024-2034 दशक के लिए कार्रवाई कार्यक्रम’ के मुख्य लक्ष्यों पर एक नजर

- 2034 तक सभी क्षेत्रकों में श्रम उत्पादकता और रोजगार के अवसरों को 50% तक बढ़ाना।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र, औद्योगिक पार्क आदि विकसित करने के लिए सहायता प्रदान करना।
- 2034 तक मनमानी और अनुचित गैर-प्रशुल्क बाधाओं को कम या समाप्त करना और LLDCs के वैश्विक व्यापारिक निर्यात को दोगुना करना।
- सभी LLDCs में व्यापार सुविधा पर WTO समझौते का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2015-2030 के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क का पूर्ण कार्यान्वयन करके LLDCs में आपदा जोखिम को कम करना।
स्थलरुद्ध विकासशील देश (LLDCs) के बारे में
- स्थलरुद्ध देश वे देश होते हैं, जिनकी समुद्र तक सीधी पहुंच नहीं है यानी जिनका कोई समुद्र तट नहीं होता। विश्व में कुल 32 LLDCs हैं। इनकी कुल जनसंख्या लगभग 570 मिलियन हैं।
- लिकटेंस्टाइन और उज्बेकिस्तान दोहरे स्थलरुद्ध हैं। (अन्य स्थलरुद्ध देशों से घिरे हुए) देश हैं।
LLDCs के समक्ष चुनौतियां
- व्यापार में बाधाएं: LLDCs व्यापार के लिए पारगमन देशों पर निर्भर हैं। इससे व्यापार लागत अधिक होती है, लॉजिस्टिक्स संबंधी देरी होती है और वैश्विक बाजारों में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाती है।
- धीमी आर्थिक संवृद्धि: सीमित व्यापार और निर्यात अवसर, कम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आदि इसके लिए जिम्मेदार हैं।
- 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार LLDCs से वैश्विक व्यापारिक निर्यात कुल वैश्विक निर्यात का केवल 1.1% रहा है।