मेटा की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में पिछले दशक में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई | Current Affairs | Vision IAS
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भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में यह वृद्धि मुख्य रूप से शुरुआती चरण में फंडिंग, भारत में डिजिटल यूजर्स की संख्या तथा मेट्रो के साथ अन्य क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ने के कारण हुई है। 

स्टार्ट-अप की परिभाषा:

  • ऐसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, पार्टनरशिप या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP), जिसका वार्षिक टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से कम हो।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकरण की तारीख से 10 वर्षों तक किसी कंपनी को स्टार्ट-अप माना जाता है। 

भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के विकास के लिए उत्तरदायी कारक 

  • AI को अपनाने में तेजी: 70% स्टार्ट-अप्स अपने व्यवसाय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को शामिल कर रहे हैं। 
    • केवल मार्केटिंग क्षेत्रक में ही AI अपनाने वाले  87% उद्यमियों ने नए ग्राहक जोड़ने या नई बिक्री में लागत में सुधार दर्ज किए हैं।  
  • विदेशों में विस्तार: 50% स्टार्ट-अप्स संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम जैसे बड़े वैश्विक बाजारों को लक्षित कर रहे हैं।  
  • ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए सभी माध्यमों का उपयोग: दो-तिहाई से अधिक स्टार्ट-अप्स ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों माध्यमों का उपयोग करके ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उदाहरण के लिए- डिजिटल विज्ञापन या रील्स के जरिए ग्राहक ऑनलाइन उत्पाद खोजते हैं, लेकिन महंगी खरीदारी के लिए स्टोर पर जाते हैं।  
  • टियर-2 और टियर-3 बाजारों पर ध्यान केंद्रित करना: लगभग सभी स्टार्ट-अप्स अब छोटे शहरों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। सेवा क्षेत्रक से जुड़े स्टार्ट-अप्स विशेष रूप से व्हाट्सएप या क्षेत्रीय इन्फ्लुएंसर्स के माध्यम से इन शहरों में जल्दी प्रवेश कर रहे हैं। 

भारत में विकसित होता स्टार्ट-अप इकोसिस्टम:

  • स्टार्ट-अप्स की संख्या में वृद्धि: पूंजी प्राप्त होने और अनुकूल सरकारी नीतियों की वजह से स्टार्ट-अप्स की संख्या में अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स की संख्या 2024 में 1.5 लाख से अधिक हो गई। 
    • इनमे से 51% स्टार्ट-अप्स गैर-मेट्रो शहरों से हैं। 
  • भारतीय यूनिकॉर्न का संयुक्त वैल्यूएशन 380 बिलियन डॉलर से अधिक है।
    • यूनिकॉर्न वास्तव में निजी स्वामित्व वाले ऐसे स्टार्ट-अप्स हैं, जिनका वैल्यूएशन (कुल आर्थिक मूल्य) 1 अरब डॉलर से अधिक है। 
  • वैश्विक रैंकिंग: भारत हुरुन ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2025 में तीसरे स्थान पर है। यह स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में भारत की बढ़ती वैश्विक भागीदारी को दर्शाता है।  
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